Dengue Fever – डेंगू बुखार: डेंगू के कारण, लक्षण व उपचार

Dengue-Fever

Dengue Fever

Dengue Fever:- हम जानते है कि डेंगू एक गंभीर बीमारी है, जो एडीस एजिप्टी नामक प्रजाति के मच्छरों से फैलता है। हर साल अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है। मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है, तो वायरस स्वस्थ व्यक्ति के खून में पहुँच जाता है।

क्या आप जानते हैं कि डेंगू बुखार का घरेलू इलाज भी किया जा सकता है। डेंगू में कई लोग तो आसानी से ठीक हो जा रहे हैं, लेकिन मरीजों की हालत खराब हो जाती है।

डेंगू का इलाज समय पर करना बहुत जरुरी होता हैं। इससे पीड़ित लोगों को इतना अधिक दर्द हो सकता है, कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों। कुछ लोगों में, डेंगू बुख़ार(Dengue Fever) एक या दो ऐसे रूपों में हो सकता है, जो जीवन के लिये खतरा हो सकते हैं।

डेंगू के सबसे ज्यादा मामले भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण-पूर्व एशिया, मेक्सिको, अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में तो बड़ी आबादी इस बुखार से प्रभावित होती है।

डेंगू बुखार क्या है?

यह मच्छरों द्वारा फैलता है। डेंगू के वायरस को फैलने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है, और ये माध्यम मच्छर होते हैं। इसमें रोगी हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है।

अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है। डेंगू का कोई विशिष्ट या खास उपचार उपलब्ध नहीं है।

यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार (Flaviviridae family) के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है।

शरीर में पानी की कमी, लगातार शरीर से खून निकलना, प्‍लेटलेट्स घटना, रक्‍तचाप कम होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, लीवर को क्षति पहुंचना इत्‍यादि प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं।

डेंगू के लक्षण

शरीर में उस वायरस के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। फीवर चार प्रकार के वायरस में से किसी एक प्रकार के वायरस के कारण होता है। संक्रमित होने के बाद डेंगू(Dengue Fever) के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं।

बच्चों और किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। अध्ययनों से पता चला है, कि डेंगू वायरस के अलग-अलग वायरस के संपर्क में आने से व्यक्ति को डेंगू हॅमरेजिक फीवर का खतरा बढ़ जाता है।

ऐसे में यदि आपका प्लेटलेट काउंट का स्तर पहले से ही कम है, तो दूसरों की तुलना में डेंगू से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं। डेंगू के तीसरे चरण में शरीर का तापमान पहले से और अधिक बढ़ने लगता है, और पूरे शरीर पर लाल दाने दिखने लगते हैं।

पसीना आने लगता है। इस समय शरीर का तापमान सामान्य होकर रोगी बेहतर महसूस करने लगता है। लक्षण में पेट में गंभीर रूप से दर्द होना, लिवर में फ्लूइड का एकत्रित होना, रक्तस्राव, जी मिचलाना, सीने में तरल पदार्थ का जमा होना आदि होता है।

डेंगू का उपचार

कूलर का पानी हर दिन बदलते रहना चाहिए, इसमें भी मच्छर पनपने का खतरा बढ़ जाता है। डेंगू वायरस से जल्द निजात पाने के लिए इसके लक्षणों को पहचान कर सही समय पर डॉक्‍टर की सलाह लें। इसके अलावा इलेक्ट्रोलाइट थैरेपी, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और ऑक्सीजन थैरेपी की सलाह भी दे सकते हैं।

नीम के पत्तों का रस पीने से प्लेटलेट्स संख्या में वृद्धि होती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार करता है। डेंगू के इलाज के दौरान चिकित्सक की सलाह अनुसार नीम का सेवन करना चाहिए।

किसी भी बर्तन या सामान को उल्टा करके रखें, जिसमें पानी इकट्ठा हो सकता है और सतहों को अच्छी तरह से साफ रखना चाहिए।

तुलसी की पत्तियां डेंगू बुखार में बहुत फायदेमंद साबित होती हैं। 5-7 तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इसमें एक चुटकी काली मिर्च मिलाकर पीना चाहिए।

जितना हो सके आप मॉस्किटो रेपलेंट्स, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को शाम होने से पहले बदं कर दें।