Fever – बुखार (ज्वर) का घरेलू उपचार

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Fever

Fever- शरीर का ताप नार्मल से ऊपर हो जाना बुखार कहलाता है | यह जीवाणु द्वारा मौसम के बदलने के कारण होता है | रोगी को बार बार प्यास लगे तो उसे उबलते पानी में नीम्बू निचोडकर पिलाने से ज्वर का तापमान गिर जाता है |

गाजर का रस ३ छटांक चुकन्दर का रस ३।। छटांक, खीरा या ककड़ी का रस आधा पाव सब मिलाकर पीवें, बुखार ठीक होजावेगा।

तेज ज्वर होने पर लहसुन कूटकर थोड़ा जल मिलाकर पोटली बनाकर सुंघावें। इससे ज्वर की तीव्रता दूर हो जाती है तथा लहसुन का रस ६-६ माशे प्रात. दोपहर तथा शाम को ६ बार पिलाने से बुखार उतर जाता है।

इन्फ्लूएंजा

यह सरदी गर्मी से हो जाता है नाक बहना आदि होता है तथा बुखार आ जाता है। इसमें बदन दर्द, खांसी, छीक आती है । सोठ 3 माशा, तुलसी 7 पती,Black Pepper Benefits – काली मिर्च से होने वाले फायदे और नुकसान काली मिर्च 7 दाना एक पाव पानी में पकाकर चीनी मिलाकर गरम-गरम ‘पीने से इन्फ्लूएंजा दूर होजाता है।

वायरल फीवर के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय

1 तुलसी के पत्ते बैक्टीरियल विरोधी, कीटाणुनाशक, जैविक विरोधी और कवकनाशी गुण तुलसी को वायरल बुखार के लिए सबसे उत्तम बनाते हैं।

2 5-6 तुलसी के पत्ते और एक 2-3 लौंग को एक लीटर पानी में उबाल कर रख लें। हर दो घंटे के अंतराल में आधा कप की मात्रा में इसको पिएँ।

3 खाने में उबली हुई सब्जियां, हरी सब्जियां खाना चाहिए।

4 दूषित पानी एवं भोजन से बचें।

5 गुनगुना पानी पिएँ।

6 धनिया के बीज वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति को बढ़ाते है। धनिया में पाया जाने वाला वाष्पशील तेल प्रभावी रूप से वायरल फीवर को ठीक करता है।

खांसी- Cough

प्राय: सर्दी से या मौसम बदलने से ही आने लगती है, इसमें या तो बलगम निकलता है या फिर सूखी होती है। उपचार- 1 एक छटांक सरसो के तेल में लहसुन के एक गांठ को साफ करके उसको पकाकर रखलें। साथ दिन में तीन बार लहसुन खाये । खटाई खाना छोड़। इस तेल की सीन मालिश करें।

सूखी खांसी-

इसमें बलगम नही निकलता है तथा दौड़ते समय सीने में दर्द होने लगता है।
उपचार-

1. इसमें काली मिर्च और मिश्री मुँह में रखे ठीक होती है जिससे गला खुल जाता है।

2. गन्ने का रस पीने से सूखी खांसी में लाभ होता है।

आंत्र ज्वर (टाइफाइड)-

इसे मियादी बुखार कहते हैं यह लगभग एक सप्ताह चलता है, इस समय के अन्दर ना मल आता है। कमजोरी अधिक रहती है। शाम को बुखार तेज होजाता है।

नारंगी गरमी ज्वर और अशांति दूर करती है। रोगी को दूध में नारंगी का रस मिलाकर पिलाएं ।

Fever- उबलते हुए पानी में शहद डालकर एक दो उबाल आजाने पर रोगी को गरमा-गरम पिलाते रहने पर आंत्रिक ज्वर में आंतों पर शामक प्रभाव पड़ता है और रोगी दुर्बल नहीं होता है। रोगी को ठोस भोजन नहीं देना चाहिए।

अन्य ज्वर के रोगियों के लिये केला आदर्श भोजन है, यह भूख प्यास कम करना

पीला ज्वर-

इस ज्वर में पीलिया पेशाब में प्रोटीन का आना कभी-कभी खून आना, नींद न आना, पैर में दर्द आदि होता है। नींबू को फीके पानी में मिलाकर पीले ज्वर के रोगी को पिलाने से रोगी शीघ्र ठीक होजाता है।