Ear sickness – कान में दर्द, मवाद आना, उच्चा सुनना आदि समस्या को आसानी से हल करे

Ear-sickness

Ear sickness

Ear sickness- कान मानव शरीर के सबसे संवेदनशील और प्रमुख अंगों में से एक है। इसकी वजह से ही इंसान बाहरी आवाज को सुना पता है और जवाब दे पता है, लेकिन कान की तरफ लोगों का ध्यान तभी जाता है जब कोई समस्या होती है।

ऐसे में शरीर के अन्य पार्ट्स की तरह कान का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी हो जाता है। अगर सरल से सरल बातों पर ध्यान नहीं देते हैं तो कान की समस्या और भी अधिक बढ़ जाती है।

Ear sickness – किन कारणों से होता हैं कान में दर्द जानें

हेडफोन का कम इस्तेमाल करें

आज के समय में लगभग हर 10 इंसान में से 6-7 लोग हेडफोन (ब्लूटूथ) का इस्तेमाल करते हैं। गाना सुनना, वीडियो देखना और कॉल पर बात करनी हो तो कई लोग हेडफोन का ही इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो 24 घंटे में 14-15 घंटे हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं।

अगर आप भी हर दिन कुछ अधिक ही ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हैं तो फिर आपको इससे दूरी बनाकर रखना चाहिए। अगर आप हेडफोन का इस्तेमाल करते भी है तो साउंड का वॉल्यूम 60 प्रतिशत से कम रखना चाहिए।

लाउड म्यूजिक

म्यूजिक सुनना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है, लेकिन अगर इसकी लत लग जाए, तो ये हानिकारक साबित हो सकता है। आजकल लोगों को लाउड म्यूजिक की ऐसी आदत लगी हुई है, कि वे रात में कान में लीड लगाकर गाने सुनते हुए सो जाते हैं।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस गलती को वक्त रहते न छोड़ा जाए, तो ये प्रभावित व्यक्ति की सुनने की शक्ति को छीन सकता है। कई बार रेलमार्ग या रोड पर ऐसे म्यूजिक सुनने वाले हादसों का शिकार भी हुए हैं। कान शरीर का बहुत ही संवेदनशील अंग है, ऐसा व्यवहार अपनाकर इसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

कानों को ड्राई न रखना

वातावरण के साथ अगर आप अपने कानों को गीला रखते हैं, तो ये गलती फंगल इंफेक्शन का कारण बन सकती है। वैसे ये समस्या स्विमिंग करने वालों में देखने को मिलती है, लेकिन सामान्य लोग भी नहाने के दौरान इस गलती को दोहराते हैं।

इस वजह से कान में होने वाले इंफेक्शन बाद में दवाइयों के जरिए दूर होता है। दवा लेने से बेहतर है, इस गलती को किया ही न जाए।

कॉटन बड्स के इस्तेमाल से बचें

कुछ लोग कान की सफाई के लिए कॉटन बड्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन बता दे कि कॉटन बड्स का इस्तेमाल भी कानों के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कॉटन बड्स एवं कानों के अंदर डालते हैं तो वह काफी अंदर तक जा सकता है ऐसे में यह कान के पदों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

वहीं कॉटन बड्स कान के बाहर हानिकारक बैक्टीरिया को कान के अंदर तक ले जा सकते हैं। ऐसे में कॉटन बड्स का इस्तेमाल करने से बचें।

कान के अंदर ना डालें कोई खुशबूदार प्रोडक्ट

कुछ लोग शरीर की बदबू दूर करने के लिए कान में खुशबूदार प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इन प्रोडक्ट के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इन प्रोडक्ट्स के अंदर केमिकल्स मौजूद होते हैं जो कान के पर्दे को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

ऐसे में कान पर किसी भी प्रकार का प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह लेनी जरूरी होती है।

Ear sickness – कान में दर्द, मवाद आना, उच्चा सुनना आदि समस्या को आसानी से हल करे

सरसो के 200 ग्राम तेल में मात्र 10 ग्राम रतनजोत जिसे बालछड़ भी कहते हैं और अत्यंयत सस्ती है को लेकर, पकाये यानि उबाले और तेल ठंडा कर छान कर शीशी में भर रख ले।

कानो की किसी भी समस्या में 2-2 बून्द डाले और चमत्कार देखे।

एलोवेरा

एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर आपके कान में खुजली है तो आपके घर पर लगा एलोवेरा का पौधा चमत्कार कर सकता है। आप सिर को एक तरफ झुकाकर कान में एलोवेरा जेल की तीन चार बूंदें डाल सकते हैं।

इसे बाहर निकालने से पहले इसे कई सेकंड के लिए वहीं रहने दें। एलोवेरा आंतरिक कान के अंदर पीएच लेवल को बेहतर करता है। इसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूखे, खुजली, चिड़चिड़े कानों को भी शांत करते हैं।

मैगनीशियम युक्त आहार

मैग्नीशियम, तंत्रिका कार्य को बेहतर बनाए रखने के साथ, तेज आवाज के संपर्क में आने पर कान की कोशिकाओं को क्षति पहुंचने से बचाते हैं। मैग्नीशियम रक्त प्रवाह में सुधार करने में भी मदद कर सकता है, जबकि इसकी कमी से ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।

कानों को स्वस्थ रखने और कम सुनाई देने की समस्या (विशेष रूप से शोर-प्रेरित) से बचाव के लिए मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करें।

इसमें डार्क चॉकलेट, कद्दू के बीज, अलसी के बीज, नट्स (विशेषकर ब्राजील नट्स, काजू और बादाम), साबुत अनाज, एवोकाडो, फलियां, पालक और केला जैसी चीजें सहायक हो सकती हैं।

पोटैशियम

ऐसा माना जाता है कि आंतरिक कान में तरल पदार्थ की कमी के कारण सुनाई देने से संबंधित समस्या हो सकती है, पोटेशियम शरीर में तरल पदार्थ को नियंत्रित करने के साथ इस समस्या से सुरक्षा देने में सहायक माना जाता है।

उम्र बढ़ने के साथ शरीर में पोटेशियम के स्तर में गिरावट आने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें।

इसके लिए खीरा, मशरूम, शकरकंद, आलू, अंडे, केला, खुबानी, खरबूजा, संतरा, मटर, पालक, नारियल, तरबूज जैसी चीजें सहायक हो सकती हैं।