Ayurvedic prescriptions for migraine
Ayurvedic prescriptions for migraine-माइग्रेन(migraine) सिर में होने वाला ऐसा रोग है जिसमें सिर के आधे भाग में दर्द रहता है। यह दर्द होने पर व्यक्ति परेशान हो जाता है।
जानते हैं इसके लिए लाभकारी आयुर्वेदिक उपायों के बारे में।
दर्द की वजह
आयुर्वेदिक ग्रंथों में इस रोग को अर्धावभेदक नाम दिया गया है।
- ओस, ठंडी हवाएं, अधिक भोजन करना,
- समय पर भोजन न करना,
- ठंडे पेय पदार्थों का प्रयोग,
- पहला भोजन पचा न होने पर फिर से खाना,
- बासी भोजन करना,
- मल-मूत्र रोकना, अधिक व्यायाम करना, हार्मोंस में परिवर्तन,
- नींद न पूरी होना और थकान आदि कारणों से माइग्रेन हो सकता है।
इन्हें खतरा
यूं तो यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 35 से 45 वर्ष के लोगों में यह अधिक देखने को मिलता है। बच्चे भी इस रोग के शिकार होते हैं लेकिन किशोरावस्था में इसके रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। ज्यादा पढऩे और लिखने वाले, अधिक मानसिक काम करने वाले या तनाव में रहने वाले लोग इसकी गिरफ्त में जल्दी आते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार वायु जब कफ के साथ शरीर के आधे भाग को जकड़ लेती है तो शंख प्रदेश यानी कान, आंख व सिर में दर्द होता है। यह रोग जब अधिक देर तक बना रहता है तो सुनने व देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है।
इलाज में ये अपनाएं
इसके रोगी को कब्ज की शिकायत नहीं रहनी चाहिए। कब्ज के लिए त्रिफला चूर्ण का प्रयोग गुनगुने पानी के साथ करें।
पेट साफ रखने वाली दवाएं ठंडे पानी से न लें। जिस दिन पेट साफ करने वाली दवा लें, उस दिन मूंग की दाल की खिचड़ी घी के साथ खाएं।
सुबह दूध के साथ जलेबी लेने से भी सिरदर्द में आराम मिलता है।
इसके रोगी को ज्यादा देर खाली पेट नहीं रहना चाहिए।
दूध, मलाई, खोया, रबड़ी, मालपुआ, फेणी, घेवर, हलवा आदि खाने से रोगी को आराम मिलता है।
इसके अलावा सुबह दूध में घी डालकर और भोजन के बाद घी पीने से इस रोग में लाभ होता है।
गाय का दूध या घी नाक में दो-दो बूंद डालने से फायदा होता है।
नौसादर और चूने का मिश्रण सूंघने से भी आराम मिलता है।
इस रोग में पुराना घी, मूंग की दाल, जौ, परवल, सहजन की फली, बथुआ, करेला, बैंगन व फलों में आम, अंगूर, नारियल व अनार का प्रयोग लाभकारी होता है।
दालचीनी चूर्ण का लेप माथे पर करने से भी फायदा होता है।
इस रोग में भूखे पेट रहने, धूप में घूमने या ज्यादा देर तक टीवी देखने से बचें।