Health Tips For Asthma Diseases
Health Tips For Asthma Diseases- अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो हमारे श्वसन तंत्र को बहुत बुरी तरह प्रभावित करती है। बाकी हार्ट और फेफड़ों पर जो इसका असर होता है, वह तो हानिकारक है ही। अस्थमा के रोगियों को दवाएं या इनहेलर हमेशा अपने साथ रखना चाहिए, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन इन्हें ऐसा क्या खाना चाहिए, जो इनकी सेहत को लंबे समय तक सही बनाए रखने में मदद करे।
अस्थमा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। इन्हें नॉन एलेर्जिक अस्थमा (Nonallergic Asthma) और ऑक्यूपेशनल अस्थमा (Occupational Asthma) कहते हैं। अस्थमा के रोगियों को पलूशन, धुएं और सर्दी के मौसम में अधिक दिक्कत होती है। इस कारण बेहतर है कि ये लोग ऐसी किसी भी जगह जाने से बचें, यहां इन्हें सांस लेने में दिक्कत हो या संक्रमण बढ़ने की आशंका हो।
Health Tips For Asthma Diseases- जानकारों का कहना है कि भारत में सिर्फ अस्थमा के मामले 37.9 मिलियन हैं। डॉक्टर इंदु खोसला के मुताबिक, सांस संबंधी बीमारियां और एलर्जी विश्व स्तर पर में बच्चों और व्यस्कों दोनों में बढ़ रही हैं। अस्थमा के मामले और एलर्जिक राइनाइटिस सभी उम्र के ग्रुप में बढ़ोतरी हुई है।
प्रदूषण, धूल, एलर्जी, जीवनशैली में बदलाव, मौसमी बदलाव समेत इसके कई कारण हो सकते हैं। मोटापा अस्थमा का दूसरा खतरा है और ये आम तौर से जीवनशैली में तब्दीली और खानपान की आदतों से होता है। मोटापा को अस्थमा खराब करने वाला जाना जाता है।
Health Tips For Asthma Diseases- अस्थमा का इलाज कैसे किया जाता है?
साँस की कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, ल्यूकोट्रिएन मोडिफिएर, कॉम्बिनेशन इनहेलर्स, थियोफिलाइन और लंबे समय तक अभिनय करने वाले बीटा-एगोनिस्ट जैसी दीर्घकालिक दवाएं अस्थमा के उपचार के लिए आधारशिला बनाती हैं। इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स सूजन को कम करने में मदद करते हैं और बाहरी ट्रिगर के लिए शरीर की प्रतिक्रिया को भी कम करते हैं।
एक डॉक्टर आमतौर पर एक मरीज को इन दवाओं को नियमित रूप से लेने की सलाह देगा क्योंकि उन्हें काम शुरू करने के लिए बहुत समय की आवश्यकता होती है। राहतकर्ता आमतौर पर ब्रोन्कोडायलेटर्स होते हैं और वे वायुमार्ग को कसना कम करके आराम करने का कारण बनते हैं।
संयोजन इनहेलर्स में प्रचलित और लक्षण नियंत्रक दवाओं दोनों के गुण होते हैं। आमतौर पर, लक्षण नियंत्रकों का उपयोग निवारक के साथ संयोजन में किया जाता है और वे वायुमार्ग की मांसपेशियों को आराम करने में मदद करते हैं। आम तौर से ये दवाएं दिन में दो बार ली जाती हैं।
Health Tips For Asthma Diseases- त्वरित-राहत दवाएं:
इप्रेट्रोपियम का उपयोग ज्यादातर वायुमार्ग को आराम करने के लिए किया जाता है और इस प्रकार व्यक्ति को सांस लेने में आसानी होती है।
लघु-अभिनय बीटा एगोनिस्ट को एक पोर्टेबल और हाथ से पकड़े हुए इनहेलर या एक नेबुलाइज़र का उपयोग करके प्रशासित किया जा सकता है।
मौखिक और अंतःशिरा कॉर्टिकोस्टेरॉइड: गंभीर अस्थमा के साथ वायुमार्ग की सूजन से राहत पाने के लिए, एक हमले के दौरान तत्काल राहत प्रदान करने के लिए मौखिक और अंतःशिरा कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग किया जाता है।
अस्थमा के लक्षण और संकेत क्या हैं?
अस्थमा के संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं- सांस की तकलीफ, हैक (शाम के समय बार-बार पछताना) और घरघराहट (सीटी बजने की आवाज को हवा के थपेड़ों के माध्यम से हवा के प्रवाह द्वारा, सामान्य रूप से साँस छोड़ते हुए), छाती की सूंघना आदि। ध्यान दें कि ये साइड इफेक्ट्स चिंताजनक हैं और अस्थमा वाले लोग बिना किसी अभिव्यक्तियों के समय के व्यापक हिस्सों में जा सकते हैं।
एलर्जी के लिए एक्सपोजर दमा के संकेतों के लिए नियमित ट्रिगर में से एक है। इसके अलावा यहाँ कुछ और संकेत दिए गए हैं जिनमें पालतू जानवर, डस्ट वर्मिन, कॉकरोच, मोल्ड्स और धूल शामिल हैं। तम्बाकू का उपयोग या उपयोग किए गए धुएँ के संपर्क से अस्थमा प्रबंधन है।
अस्थमा के कुछ लक्षण और लक्षण विशिष्ट नहीं हैं और इन्हें विभिन्न स्थितियों में भी देखा जा सकता है। अस्थमा के अलावा अन्य स्थितियों की सिफारिश करने वाले लक्षणों में वृद्धावस्था में नए इन्फेक्शन की शुरुआत, संबंधित साइड इफेक्ट्स की उपस्थिति, (उदाहरण के लिए, सीने में बेचैनी, प्रकाशस्तंभ, धड़कन और थकान) शामिल हैं, और अस्थमा के लिए उपयुक्त नुस्खे पर प्रतिक्रिया का अभाव है।
अस्थमा क्या है?
अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जो फेफड़ों में वायुमार्ग की जलन और सूजन का कारण बनती है। इस स्थिति से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में मुश्किल होती है। मस्ट सेल्स, ईोसिनोफिल्स और टी-लिम्फोसाइट्स अन्य इंफ्लेमेटरी सेल्स के साथ मिलकर वायुमार्ग की सूजन का कारण बनती हैं। यह एक व्यक्ति को घरघराहट, खांसी और यहां तक कि सांस की तकलीफ के दौर के हमलों का अनुभव करता है।
अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर सुबह जल्दी या रात के दौरान अनुभव करता है। अस्थमा के दौरे के दौरान, वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियां कस जाती हैं जिससे व्यास कम हो जाता है. नतीजतन, हवा का प्रवाह कम हो जाता है और वायुमार्ग की सूजन बढ़ जाती है. वायुमार्ग में बलगम का उत्पादन होता है और यह आगे हवा के प्रवाह को बाधित करता है।
अस्थमा से राहत पाने के उपाय
मेथी के दाने
मेथी को पानी में उबाल कर इसमें शहद और अदरक का रस मिलाकर रोजाना पीएं। इससे आपको अस्थमा की समस्या से राहत मिलेगी।
केला
एक पके केले को छिलके सहित सेंककर बाद में उसका छिलका हटाकर केले के टुकड़ो में पिसी काली मिर्च डालकर गर्म-गर्म दमे रोगी को देनी चाहिए। इससे रोगी को राहत मिलेगी।
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लहसुन
लहसुन अस्थमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। अस्थमा रोगी लहुसन की चाय या 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से अस्थमा में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।
अजवाइन और लौंग
गर्म पानी में अजवाइन डालकर स्टीम लेने से भी अस्थमा को नियंत्रित करने में राहत मिलती है। यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद है। इसके अलावा 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मश्रिण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएं और गर्म-गर्म पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को लाभ होता है।
तुलसी
तुलसी अस्थमा को नियंत्रित करने में लाभकरी है। तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह से साफ कर उनमें पिसी काली मिर्च डालकर खाने के साथ देने से अस्थमा नियंत्रण में रहता है। इसके अलावा तुलसी को पानी के साथ पीसकर उसमें शहद डालकर चाटने से अस्थमा से राहत मिलती है।
इसे रोकने के तरीके व टिप्स
एलर्जी से दूर रहें जो आपकी सांस लेने में तकलीफ को बढ़ाते हैं। अगर आपको किसी चीज से जल्दी एलर्जी हो जाती है तो आपको एलर्जिक रिएक्शन से बचने के तरीकों को अपनाना चाहिए।
बुखार, कोल्ड व फ्लू जैसी बीमारियों से अपने आप को बचा कर रखें क्योंकि इन सबसे सांस लेने में तकलीफ काफी बढ़ जाती है और अस्थमा के लक्षण और भी खराब स्तर तक पहुंच जाते हैं।
अस्थमा के मरीजों को स्मोकिंग यानि धूम्रपान से बृभी सख्त परहेज करना चाहिए क्योंकि इससे अस्थमा के लक्षण और भी बढ़ जाते हैं और एक दिन आपको अस्थमा अटैक आ सकता है।
अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो आपको एयर पॉल्यूशन, कोल्ड, फ्लू और किसी भी तरह के खुशबू से अपने आप को बचा कर रखना चाहिए।
हर साल फ्लू वायरस वाली वैक्सीन लें जिससे आपको अस्थमा होने का खतरा कम होता है। फ्लू जैसी बीमारियां अस्थमा का एक बड़ा कारण है इसलिए इनकी वैक्सीन लेने की सलाह दी जाती है।
अस्थमा के मरीज डॉक्टर के द्वारा बताई गई दवाइयों का ही इस्तेमाल करें। अन्यथा अपनी मर्जी से दवाई लेना स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।
अस्थमा एक्शन प्लान को फॉलो करें। यानि कि जब आप अच्छा भी महसूस कर रहे हों तब भी आप अपनी दवा लेना जारी रखें।
होम पीक फ्लो मीटर का इस्तेमाल करें। ये आपको बताता है कि आपके फेफड़ों में कितनी स्वच्छ हवा पास कर रही है। साथ ही ये भी बताता है कि एयरवेज कितना संकरा हुआ है।
बहुत ज्यादा तापमान में रहने से परहेज करें। हमेशा सामान्य तापमान में रहने की कोशिश करें। ज्यादा भी गर्म और ज्यादा भी ठंडा वातावरण आपके लिए खतरा हो सकता है। एसी हमेशा नॉर्मल टेम्प्रेचर पर रखें। सुबह की ताजी प्राकृतिक हवा आपके लिए एक बेहतर इलाज हो सकता है।
ज्यादा स्ट्रेस ना लें। स्ट्रेस लेने से अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ज्यादा इमोशनल परिस्थितियों में अपने आप को ना डालें। ऐसा वर्कप्लेस ढूंढ़ें जो आपको रिलैस्क के साथ-साथ टेंशनफ्री भी रखे। लोगों के साथ बहस ना करें।
घर के अंदर कूड़ा कचना ना रखें। अपने घर को हमेशा साफ रखें और कूड़ा को नियमित तौर पर घर से बाहर निकालें। घर के अंदर धूल भी ना जमा होने दें क्योंकि ये आपकी सांसों की तकलीफ को और बढ़ा सकती है।
कीड़ों मकौड़ों और जानवरों से अपने आप को दूर रखें। अस्थमा के मरीजों को इन सब चीजों से एलर्जी की समस्या हो सकती है इसलिए एहतियातन तौर पर अस्थमा के मरीजों को इन सब चीजों से दूर रहना चाहिए।