What is Leukoderma or Vitiligo Disease? – विटिलिगो रोग क्या है, कारण और इसका उपाय

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What is Leukoderma or Vitiligo Disease?

What is Leukoderma or Vitiligo Disease?-त्‍वचा पर डिपिगमेंटेशन विटिलिगो हो सकता है जो कि मेलानोसाइटस की कमी के कारण होता है। मेलानोसाइटस वो कोशिकाएं होती हैं जो मेलानिन नामक त्‍वचा के पिगमेंट को बनाती हैं। विटिलिगो शरीर के हर हिस्‍से को प्रभावित करता है। इसमें होठों पर डिपिगमेंटेशन और सफेद बाल होना शामिल है।

What is Leukoderma or Vitiligo Disease?सफ़ेद दाग क्या होते हैं?

वैसे तो सभी प्रकार के त्वचा रोग त्रिदोषज होते हैं फिर भी दोषों के अपने निजी लक्षणों से उनकी सबलता तथा निर्बलता की समीक्षा कर तदानुसार चिकित्सा की जाती है। जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से उभरा एवं बढ़ा हुआ देखे तो उसकी चिकित्सा पहले करें पर प्राय: ये वात, कफ की प्रधानता होने पर होते हैं। आमतौर पर यह समस्या होंठों और हाथ-पैरों पर दिखाई देती है।

इसके अलावा शरीर के कई अलग-अलग हिस्सों पर भी ऐसे दाग नज़र आ सकते हैं। यह आम समस्या है जिसके कारणों का पूरी तरह पता नहीं चल सका है। फिर भी चिकित्सा द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कई बार यह जेनेटिकल कारणों से भी हो सकती है पर ये छूने से दूसरों को संक्रमित नहीं होते हैं।

कुछ लोग इसे कुष्ठ रोग यानी लेप्रेसी की शुरुआती अवस्था मानकर इससे बहुत ज्यादा भयभीत हो जाते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है। लेप्रेसी से इसका कोई संबंध नहीं है। यह एक प्रकार का चर्म रोग है जिससे शरीर के किसी अंदरूनी हिस्से को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचता और यूरोपीय देशों में इतना आम है कि वहां इसे रोग की श्रेणी में भी नहीं माना जाता है। चिकित्सा के दौरान डॉक्टर रोगी को अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचने की सलाह देते हैं।

What is Leukoderma or Vitiligo Disease? कई बार एक से डेढ़ साल तक की अवधि में यह बीमारी ठीक हो जाती है जबकि कुछ मामलों में जरूरी नहीं है कि यह ठीक भी हो। विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है, दुनिया भर की लगभग 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत आबादी विटिलिगो से प्रभावित है, लेकिन भारत में इससे प्रभावित लोगों की आबादी लगभग 8.8 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है।

विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है शुरुआत में छोटा-सा दिखाई देने वाला यह दाग धीरे-धीरे काफी बड़ा हो जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली नहीं होती। चेहरे पर या शरीर के अन्य किसी हिस्से में सफेद दाग होने के कारण कई बार व्यक्ति में हीनता की भावना भी पैदा हो जाती है।

What is Leukoderma or Vitiligo Disease? ल्यूकोडरमा या विटिलिगो

ल्यूकोडरमा या विटिलिगो आज बेहद आम समस्या है जिसके कारणों का पूरी तरह पता नहीं चल सका है। फिर भी चिकित्सा द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कई बार यह जेनेटिकल कारणों से भी हो सकती है। इस रोग में त्वचा पर दूधिया रंग के चकत्ते या सफेद दाग निकल आते हैं। हो सकता है कि आगे चलकर ये दाग शरीर में फैलने भी लगें पर ये छूने से दूसरों को संक्रमित नहीं होते हैं। इसकी चिकित्सा के लिए दवाओं के साथ-साथ की बार एक्जाइमर लाइट सेशन या स्किन ड्राफ्टिंग टेकनीक जैसी विधियों की भी मदद ली जाती है।  

यह एक प्रकार का चर्म रोग है जिससे शरीर के किसी अंदरूनी हिस्से को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता और यूरोपीय देशों में इतना आम है कि वहां इसे रोग की श्रेणी में भी नहीं माना जाता है। चिकित्सा के दौरान डॉक्टर रोगी को अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचने की सलाह देते हैं। कई बार एक से डेढ़ साल तक की अवधि में यह बीमारी ठीक हो जाती है जबकि कुछ मामलों में जरूरी नहीं है कि यह ठीक भी हो।

What is Leukoderma or Vitiligo Disease? सफेद दाग होने का कारण

आपकी त्वचा पर सफेद दाग होने के कारण कई हो सकते हैं।

इम्यून सिस्टम से जुड़ी हुई समस्या आपकी त्वचा पर सफेद दाग का कारण बन सकती है, क्योंकि इससे त्वचा में मौजूद मेलनॉइट्स (मेलेनिन-उत्पादक कोशिकाएं होती है, जो त्वचा के रंग को बनाए रखने का काम करती हैं) प्रभावित होते हैं।
सफेद दाग की समस्या वंशागत भी हो सकती है।
सूर्य की अल्ट्रा वॉइलेट किरणों का प्रभाव।

इसके अलावा, त्वचा पर सफेद दाग के लिए निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं, जिसका अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है-

चोट लगने से
किसी प्रकार का तनाव
गर्भावस्था के कारण
हाइपोथायरायडिज्म (जरूरत से कम थयरॉइड हार्मोन का निर्माण होना)
मधुमेह या डायबिटीज की समस्या

सफेद दाग के लक्षण – Symptoms of Vitiligo

सफेद दाग होने से पहले ही इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसका तुरंत उपचार करने से इस समस्या के प्रभाव को रोका जा सकता है।

त्वचा के रंग में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है।
सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से बगल, जननांग व पेट पर धब्बे नजर आने लगते हैं।
बाल जल्दी भूरे होने लगते हैं।
आंखों की पुतलियों का रंग बदलने लगता है।
पतली झिल्ली (Mucous membrane) के रंग में परिवर्तन भी सफेद दाग की ओर इशारा करता है।

सफेद दाग के प्रकार – Types of White Spots

सफेद दाग के प्रकार उसके प्रभाव क्षेत्र के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है।

जनरलाइज विटिलिगो
यह सफेद दाग का सबसे सामान्य रूप है। इसमें शरीर के दोनों तरफ घाव दिखाई देते हैं। जनरलाइज विटिलिगो से ग्रसित व्यक्ति के हाथ, कलाई, कोहनी, अंडरआर्म्स, पलकें, नासिका, होंठ, कान, कूल्हे, घुटने, टखने और पैर पर सफेद दाग दिखाई देते हैं। विटिलिगो का यह प्रकार निरंतर फैलता है।

सेगमेंटल विटीलिगो
इसमें शरीर के केवल एक ही हिस्से में प्रभाव दिखाई देता है। सफेद दाग का यह प्रकार चेहरे, गर्दन, बाहों या पैरों को निशाना बनाता है। ये घाव अक्सर बचपन में शुरू होते है और कुछ वर्षों में फैलने बंद हो जाते हैं।

यूनिवर्सल विटिलिगो
यह सफेद दाग का एक गंभीर रूप है, जो शरीर के 80 प्रतिशत भाग को प्रभावित करता है।

लिप-टिप विटिलिगो
यह विटिलिगो का एक असामान्य रूप है, जिसका प्रभाव होंठों व हाथ-पैर की उंगलियों पर दिखाई देता है।

फोकल विटिलिगो
यह सफेद दाग का एक असामान्य रूप है, जिसमें त्वचा पर कुछ घाव दिखाई देते हैं। कभी-कभी फोकल विटिलिगो जनरलाइज विटिलिगो की पहली अवस्था के रूप में दिखा देता है। फोकल विटिलिगो का इलाज जनरलाइज विटिलिगो की तुलना में ज्यादा आसान होता है।

कुछ घरेलू प्रयोग त्वचा की इस असमानता को मिटाने में आपकी मदद कर सकते हैं –

तांबा
तांबा तत्व, त्वचा में मेलेनिन के निर्माण के लिए बेहद आवश्यक है। इसके लिए तांबे के बर्तन में रातभर पानी भरकर रखें और सुबह खाली पेट पिएं। बरसों पुराना यह तरीका मेलेनिन निर्माण में सहायक है।

नारियल तेल
यह त्वचा को पुन: वर्णकता प्रदान करने में सहायक है साथ ही त्वचा के लि‍ए बेहतर। इसमें जीवाणुरोधी और संक्रमण विरोधी गुण भी पाए जाते हैं। प्रभावित त्वचा पर दिन में 2 से 3 बार नारियल तेल से मसाज करना फायदेमंद साबित हो सकता है।

हल्दी
सरसों के तेल के साथ हल्दी पाउडर का लेप बनाकर लगाना फायदेमंद है। इसके लिए 1 कप या लगभग 250 मिलीलीटर सरसों के तेल में 5 बड़े चम्मच हल्दी पाउडर डालकर मिलाएं और इस लेप को दिन में दो बार प्रभावित त्वचा पर लगाएं। 1 साल तक इस प्रयोग को लगातार करें। इसके अलावा आप हल्दी पाउडर और नीम की पत्ति‍यों का लेप भी कर सकते हैं।

नीम
नीम एक बेहतरीन रक्तशोधक और संक्रमण विरोधी तत्वों से भरपूर औषधि‍ है। नीम के पत्त‍ियों को छाछ के साथ पीसकर इसका लेप बनाकर त्वचा पर लगाएं। जब यह पूरी तरह सूख जाए तो इसे धो लें। इसके अलावा आप नीम के तेल का प्रयोग भी कर सकते हैं और नीम के जूस का सेवन भी कर सकते हैं।

लाल मिट्टी
लाल मिट्टी में प्रचुर मात्रा में तांबा पाया जाता है, जो मेलेनिन के निर्माण और त्वचा के रंग का पुन: निर्माण करने में मददगार है। इसे अदरक के रस के साथ मिलाकर भी प्रभावित स्थान पर लगाना फायदेमंद होगा।

अदरक
रक्तसंचार को बेहतर बनाने और मेलेनिन के निर्माण में अदरक काफी फायदेमंद है। इसके रस को पानी में मिलाकर पिएं और प्रभावित त्वचा पर भी लगाएं।

सेब का सिरका
सेब के सिरके को पानी के साथ मिक्स करके प्रभावित त्वचा पर लगाएं। 1 गिलास पानी में 1 चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीना भी फायदेमंद होगा।