Kidney Health
Kidney Health- हमारे शरीर में किडनी की एक अहम भूमिका होती है। वे बॉडी से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करती हैं। इसके साथ ही ये पानी, लवण और खनिजों के हेल्दी बैलेंस को बनाए रखने के लिए एसिड को हटाने में भी मदद करती हैं। मालूम हो कि इस स्वस्थ संतुलन के बिना, आपकी नसें, मांसपेशियां और शरीर के अन्य ऊतक ठीक से काम नहीं कर सकते।
किडनी खराब होने के ये लक्षण इतने हल्के होते हैं कि ज्यादातर लोगों को बीमारी के बढऩे तक कोई अतंर महसूस नहीं होता। चोट लगने, हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज के कारण किडनी डैमेज हो जाती हैं, तो यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर नहीं कर सकती, जिससे जहर का निर्माण होता है।
ऐसे में किडनी ठीक से काम नहीं करती और किडनी में टॉक्सिन जमा हो सकते हैं।
Kidney Health-किडनी डेमेज होने के कारण
दर्द निवारक दवाओं प्रयोग
डॉ. अजीत का कहना है कि बाजार में मेडिकल स्टोर पर ऐसी तमाम नॉन-स्टेरायडल एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं, उपलब्ध हैं, जो आपके दर्द को कम करने में मदद करती हैं। लेकिन ये आपकी किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं, खासकर अगर किसी को पहले से ही किडनी की बीमारी है। इसलिए बेहतर होगा कि अगर आप रेगुलर बेस पर NSAIDs का सेवन न करें और अपनी किडनी की सेहत का ख्याल रखें।
नमक का अक्सर प्रयोग
डॉ. सिंह बताते हैं कि ऐसे आहार जिनमें नमक अधिक होता है, रक्तचाप बढ़ा सकते हैं और इस तरह किडनी डिजीज का खतरा बढ़ सकता है। नमक के बजाय, आप जड़ी-बूटियों और मसालों के साथ अपने भोजन के स्वाद को बढ़ा सकते हैं। जब आप इसे करना शुरू करेंगे, तो समय के साथ आपको नमक से बचना आसान लगने लगेगा।
शराब का अधिक सेवन
शराब का सेवन अगर माह अथवा 15 दिन में एक बार हल्की मात्रा में किया जाए तो इससे नुकसान नहीं होते। लेकिन वहीं अगर आप इसे रेगुलर पीते हैं तो अपने स्वस्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। नियमित शराब के सेवन से किडनी खराब हो सकती है। हैवी ड्रिंक करने वालों को क्रोनिक किडनी रोग का खतरा रहता है।
बहुत अधिक मीट का सेवन करना
डॉ. का कहना है कि पशु प्रोटीन, रक्त में उच्च मात्रा में एसिड उत्पन्न करता है, जो गुर्दे के लिए हानिकारक हो सकता है और एसिडोसिस का कारण बन सकता है। एसिडोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुर्दे एसिड को तेजी से खत्म नहीं कर पाते हैं।
भूख में कमी आना
शरीर में विषाक्त पदार्थों और वेस्ट का संचय भी आपकी भूख को कम कर सकता है, जिससे वजन घटने लगता है। कम भूख का कारण सुबह जल्दी मतली और उल्टी भी हो सकती है। इस कारण व्यक्ति को हर समय पेट भरा हुआ लगता है और कुछ खाने का मन भी नहीं करता। यह किडनी खराब होने का खतरनाक संकेत है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता।
टखने और पैरों में सूजन
किडनी शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त सोडियम को फिल्टर करने में मदद करती है। किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है, तो शरीर में सोडियम जमा होने लगता है, जिसके कारण पिंडलियों और टखनों में सूजन बढ़ जाती है। इस स्थिति को एडिमा कहते हैं। वैसे तो टॉक्सिक किडनी में आंखों और चेहरे पर सूजन देखी जाती है, लेकिन इसके लक्षण ज्यादा हाथ, पैर और टखनों को प्रभावित करते हैं।
Kidney Health-किडनी की बीमारी को कैसे रोकें?
किडनी को स्वस्थ रखने के लिए प्रभावी तरीके-
फिट और सक्रिय रहे
नियमित रूप से व्यायाम और दैनिक शारीरिक गतिविधियाँ, रक्तचाप को सामान्य रखने में और रक्त शर्करा को नियंत्रण करने में मदद करती हैं। इस तरह शरीरिक गतिविधियाँ, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के खतरे को कम कर देती है।
संतुलित आहार
ताजे फल और सब्जियों युक्त आहार लें। आहार में परिष्कृत खाघ पदार्थ, चीनी, वसा और मांस का सेवन घटाना चाहिए। वे लोग जिनकी उम्र 40 के ऊपर है, भोजन में कम नमक लें जिससे उच्च रक्तचाप और किडनी की पथरी के रोकथाम में मदद मिले।
वजन नियंत्रण रखें
स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम के साथ अपने वजन का संतुलन बनाए रखें। यह मधुमेह, ह्रदय रोग और सी.के.डी. के साथ जुड़ी अन्य बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
धूम्रपान और तंबाकू के उत्पादों का सेवन ना करे
धूम्रपान करने से एथीरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना हो सकती है। यह किडनी में रक्त प्रवाह को कम कर देता है। जिससे किडनी की कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। अध्ययनों से यह भी पता चला हैं की धूम्रपान के कारण उन लोगों में जिनके अंतर्निहित किडनी की बीमारी है या होने वाली है, उनके किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट तेजी से आती है।
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ओ.टी.सी. दवाओं से सावधान
लम्बे समय तक दर्द निवारक दवाई लेने से किडनी को नुकसान होने का भी भय रहता है। सामान्यतः ली जाने वाली दवाओं में दवाई जैसे आईब्यूप्रोफेन, डायक्लोफेनिक, नेपरोसिन, आदि किडनी को क्षति पहुँचाते हैं जिससे अंत में किडनी फेल्योर हो सकता है। अपने दर्द को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर से परामर्श लें और अपनी किडनी को किसी भी प्रकार से खतरे में न डालें।
खूब पानी पीएँ
रोज 3 लीटर से अधिक पानी पिए। पर्याप्त पानी पीने से, पेशाब पतला होता है एवं शरीर से कभी विषाक्त अपशिष्ट पदार्थों को निकलने और जिससे किडनी की पथरी को बनने से रोकने में सहायता मिलती है।
किडनी का वार्षिक चेक-अप
किडनी की बीमारियाँ अक्सर छुपी हुई एवं गंभीर होती है। अंतिम चरण पहुँचने तक इनमें किसी भी प्रकार का लक्षण नहीं दिखता है। किडनी की बीमारियों को रोकथाम और शीघ्र निदान के लिए सबसे शक्तिशाली पर प्रभावी उपाय है नियमित रूप से किडनी का चेक -अप कराना।
पर अफ़सोस है की इस विधि का उपयोग ज्यादा नहीं होता है। किडनी का वार्षिक चेक -अप कराना, उच्च जोखिम वाले व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी है, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापे से ग्रस्त हैं और जिनके परिवार में किडनी की बीमारियों का इतिहास है।
अगर आप अपनी किडनी से प्रेम करते हैं और अधिक महत्वपूर्ण है, तो 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से अपने किडनी की जाँच करवाना मत भूलिये। किडनी की बीमारी और उसके निदान के लिए सबसे सरल विधि है की साल में एक बार रक्तचाप का माप लेना, खून में क्रीएटिनिन को मापना और पेशाब परीक्षण करवाना।