How is refined oil made?
How is refined oil made?- क्या आपके घर में भी रिफाइंड तेल(Refined Oil) में खाना बनता है? यदि हां, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। जिस रिफाइंड तेल को आप सेहत के लिए फायदेमंद समझ कर खाने में प्रयोग कर रहे हैं, ये सेहत को फायदा पहुंचाने की बजाए कितना नुकसान पहुंचा रहा है।
कुछ समय पहले तक खाना पकाने में मूंगफली, सरसों और तिल के तेलों जैसे कई शुद्ध तेलों का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन वो चिपचिपे होते थे और उनमें गंध भी आती थी। इसके बाद दौर आया रिफाइंड तेल का, जो चिपचिपा होने की बजाए हल्का होता है और उसमें गंध भी नहीं आती और ये भी माना गया कि हर तरह से सेहत के लिए रिफाइंड तेल ही बेहतरीन है। आइये आज हम आपको बताते है की ये बनता कैसे है?
रिफाइंड तेल(Refined Oil) कैसे बनता है?
किसी भी तेल को रिफाइन करने के लिए उसमें 6 से 7 प्रकार के केमिकल्स का प्रयोग किया जाता हैं और डबल रिफाइन करने के लिए 12 से 13 प्रकार के केमिकल्स मिलाये जाते हैं। ये केमिकल्स आर्गेनिक नहीं होते हैं। ये सब केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाये हुए हैं प्रकृति का दिया हुआ एक भी केमिकल इस्तेमाल नहीं होता, जिसे हम ओरगेनिक कहते हैं। बल्कि नुकसानदायक होते हैं। कास्टिक सोडा, फॉस्फेरिक एसिड, ब्लीचिंग क्लेंज जैसे केमिकल मिलाकर ये तेल तैयार होता है।
बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है। इस विधि में जो भी अशुद्धियों तेल में आती है, उन्हें साफ करके वह तेल को स्वाद गंध व रंग रहित करने के लिये रिफाइंड किया जाता है।
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रिफाइंड = केमिक्ल प्रोसेस्ड
न्यूट्रलाइजेशन(Neutralization) – तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है, जिससे तेल के सभी पौस्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
ब्लीचिंग(Bleaching) – इस विधी में P. O. P(प्लास्टर ऑफ पेरिस जो की मकान बनाने में उपयोग की जाती है) का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है।
हाइड्रोजनीकरण(Hydrogenation) – एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को कम से कम 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है। जिससे तेल में पांलीमर्स बन जाते हैं। उससे पाचन क्रिया गड़बड़ा जाती है और भोजन न पचने से पेट से सम्बन्धित बिमारियां हो जाती हैं।
वाशिंग – वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि अशुद्धियां इससे बाहर हो जाएं। इस प्रक्रिया में तारकोल की तरह गाडा वेस्टेज निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है।
निकेल – एक प्रकार का उत्प्रेरक धातु (लोहा) होता है, जो हमारे शरीर के श्वसन प्रणाली, लिवर, त्वचा, चयापचय, डीएनए, आरएनए को भंयकर नुकसान पहुँचाता है।
रिफाइंड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और एसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुँचाता है।
गंदी नाली का पानी पी लें, उस से कुछ भी नहीं होगा, क्यों कि हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लड कर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल(Refined Oil)) खाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है।
दिल को ख़तरा – शुद्ध तेलों से हमें HDL(High Density Lipoprotein) मिलता है यानी अच्छी चिकनाहट जो दिल के लिए जरुरी है और ये चिकनाहट रिफाइंड तेल से नहीं मिलती है। हार्ट डिजीज के ख़तरे से बचने के लिए हमें शुद्ध तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
रिफाइंड तेल(Refined Oil)) खाने से शरीर को आवश्यक फैटी एसिड नहीं मिल पाते और आगे चलकर जोड़ों, त्वचा एवं अन्य अंगों संबंधी समस्याएं पैदा होने लगती है। जबकि सामान्य तेल में मौजूद चिकनाई शरीर को जरूरी फैटी एसिड प्रदान करती है, जो कि हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।