Unique Sense Story – अनोखी सूझ
Unique Sense Story:- बात पुराने जमाने की है, उन दिनों देवताओ और दानवो में युद्ध होता रहता था। दोनों पक्ष मिलकर एक बार प्रजापति के पास गए। वहाँ जाकर बोले -“मान्यवर! हम दोनों ही आपकी संतान है। बताइए कि हम दोनों में बुद्धि से कौन बड़ा है?”
उनकी बात सुनकर प्रजापति मुस्कुराए। मन में सोचने लगे -“किसे बड़ा बताऊं।
देवताओ को या दानवो को? देवताओ को बड़ा बताता हूँ तो दानव नाराज़ होते है। दानवो को बड़ा बताता हूँ तो देवता नाराज़ होते है। हो सकता है तब दोनों आपस में लड़ने लगे।”
बड़ा टेढ़ा प्रश्न था। बड़ा बताये तो किसे बताएं। कुछ सोच कर वे बोले -“इसका उत्तर कल दूँगा। आप दोनों ही कल मेरे यहाँ भोजन पर आमंत्रित है ।भोजन के बाद बताऊँगा की कौन बुद्धि में श्रेष्ठ है।”
दूसरे दिन दोनों पक्ष भोजन के लिए पहुँचे। दोनों को अलग-अलग कमरों में बैठाया गया। वहाँ मिष्ठान से भरे थाल भिजवा दिए गए। प्रजापति दानवों के कमरों में गए। उन्होंने कहा -“आप लोग भोजन करें। शर्त यह है की कोहनी को बिना मोड़े भोजन करना है।”
यही बात उन्होंने दानवों से भी कही।
प्रजापति की बात सुन दोनों परेशान हुए। वे एक दूसरे का मुँह ताकने लगे। देवताओ ने एक उपाय सोचा। कमरे के किवाड़ बंद किए। आमने -सामने बैठ गए। लडडू उठा-उठा कर एक दूसरे के मुँह में देने लगे। कुछ देर में थाल साफ खो गया। सारे लडडू समाप्त हो गए। न हो -हल्ला न शोरगुल। देवताओ ने शांतिपूर्वक भोजन किया।
दानव अपने कमरे में परेशान थे। सोचने लगे -“बेकार ही यहाँ आए। नहीं आते तो यह परीक्षा तो नहीं देनी पड़ती। आ ही गए है तो परीक्षा देनी ही पड़ेगी ।”
दानवो ने भी किवाड़ बंद किए। लडडूओ के थाल पर टूट पड़े। लड्ड़ू लेकर ऊपर उछालने लगे। लड्ड़ू जब नीचे आते तो मुँह खोल लपकते। लड्ड़ू जमीन पर गिरते और चूर -चूर हो जाते। कमरे से हो -हो-ही -ही की आवाजे आती रही। चीखते -चिल्लाते और लड़ते-झगड़ते रहे।
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सारी स्थिती स्पष्ट थी। प्रजापति ने कहा -” देवता ही श्रेस्ठ है। जानते हो क्यों? इसलिए की इन्होने सहकार की भावना से काम किया है। खुद भी खाओ और दुसरो को भी खिलाओ। जियो और जीने दो। यह थी इनकी विशेषता। बुद्धि से काम लिया। सूझ -बूझ दिखाई। ये आमने -सामने बैठ गए। एक दूसरे के मुँह में लड्ड़ू देते रहे। थोड़ी देर में थाल साफ कर दिए ।
दूसरी तरफ दानवो ने शर्त का पालन किया। लड्ड़ू उछालते रहे। उन्हें पाने के लिए लपकते रहे। न खुद खाए न दुसरो को खाने दिए। लड्ड़ू तो बिगड़े ही, पेट भी न भरा ।
Moral (शिक्षा):- जिसके पास बुद्धी है उसके पास ही बल है।