The Lion And Three Cows – शेर और तीन गाय की कहानी

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The Lion And Three Cows

The Lion And Three Cows- एक बार की बात है एक जंगल के किनारे स्थित एक चारागाह था। जिसमे तीन गायें रहती थी. तीनो एक दूसरे के काम में सहायता करती थी। तीनों भिन्न-भिन्न रंगों की थी। एक काली, एक सफ़ेद और एक भूरी थी। साथ ही चारागाह में घास चरती और रात में एक-दूसरे के पास ही सोती थीं।

एक दिन भूरे रंग का एक सिंह जंगल में शिकार की तलाश में निकला और वह उसकी दृष्टि उन तीन गायों पर पड़ी। सिंह कई दिनों से भूखा था, और शिकार की तलाश में भटक रहा था।

वह शिकार करने के लिए घात लगाकर एक बड़ी चट्टान के पीछे बैठ गया, और उन पर हमला कर सके। वह तीनो गाय एक समूह में थी इसलिए समूह में उनका सामना करना उसके लिए मुश्किल था। कुछ सयम बाद में तीनों गायें एक-दूसरे से अलग नहीं हुई।

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दूसरा दिन भी इसी तरह बीता, तीन दिन तक सिंह प्रतीक्षा करता रहा, आखिरकार सिंह के धैर्य ने जवाब दे दिया। अब वह ऐसा उपाय सोचने लगा, जिससे तीनों गायों में लड़ाई हो जाये।

शेर थोड़ी देर तक सोचता रहा बाद में उपाय दिमाग में आते ही वह गायों के पास गया और उनका अभिवादन करते हुए बोला, “नमस्कार मित्रों, आप लोग कैसे हैं? मैं यहाँ से गुजर रहा था। तो सोचा मिल लूं।

काली और सफ़ेद गाय ने सिंह को कोई उत्तर नहीं दिया, किंतु भूरी गाय ने सिंह का अभिवादन स्वीकार करते हुए प्रसन्नता पूर्वक उत्तर दिया, “मित्र, तुमसे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई.” काली और सफ़ेद गायों को भूरी गाय का सिंह से बात करना अच्छा नहीं लगा।

सिंह शिकार के लिए ही अन्य जानवरों की खोज में रहता है। काली और सफ़ेद गायों के समझाने के बावजूद भूरी गाय ने सिंह से मित्रता कायम रही। एक दिन सिंह भूरी गाय से बोला, “हमारे शरीर का रंग गाढ़ा है, और सफ़ेद गाय का हल्का. हल्का रंग गाढ़े रंग से भिन्न होता है। अच्छा होगा कि मैं सफ़ेद गाय को मरकर खा जाऊं, और इस तरह से हम अच्छे से साथ में रह पायेंगे।

भूरी गाय ने सिंह की बात मान ली, और काली गाय को अपनी बातों में व्यस्त कर लिया। इधर सफ़ेद गाय को अकेली पाकर सिंह उसे मारकर खा गया। कुछ दिन के बाद सिंह फिर से भूरी गाय के पास आया और बोला, “तुम्हारे और मेरे शरीर का रंग बिल्कुल एक समान है। किंतु काली गाय का रंग हमारे रंग से नहीं मिलता। इसलिए मैं काली गाय को मारकर खा लेता हूँ।

भूरी गाय ने फिर से सिंह की बात मान ली और काली गाय को अकेला छोड़कर दूर चली गई। सिंह ने काली गाय पर हमला कर दिया, और उसे मारकर खा गया।

अब भूरी गाय चारागाह में अकेली रह गई। सारा दिन वह अकेले घूमती और घास चरती रहती, वह बहुत प्रसन्न थी। उसे ऐसा लगने लगा था वह रंग सिंह के रंग के समान है।

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कुछ दिन बीतने के बाद सिंह को फिर से भूख लगी। वह भूरी गाय के सामने आया और जोर से दहाड़ा. सिंह उससे बोला, आज तुम्हारी बारी है। आज मैं तुम्हें मारकर खा जाऊंगा।

भूरी गाय कांपने लगी और बोली, “किंतु मैं तो तुम्हारी मित्र हूँ। सिंह बोला, “मूर्ख गाय! मेरा कोई मित्र नहीं है। मैं सिंह होकर एक गाय से मित्रता करूंगा?” भूरी गाय सिंह के सामने गिड़गिड़ाते रही, और उसे मारकर खा गया।