Guru Bhakt Aruni – गुरुभक्त आरुणि

guru bhakt aruni

Guru Bhakt Aruni

Guru Bhakt Aruni- प्राचीन समय में आयोदधौम्य ऋषि के आश्रम में गुरुभक्त शिष्य रहते थे जिनमे आरुणि नाम का शिष्य भी था। एक दिन प्रातःकाल से ही तेज वर्षा हो रही थी।

ऋषि ने अपने शिष्य आरुणि को बुलाकर खेत पर जाकर मेड बांधने का आदेश दिया। गुरु की आज्ञा पाते ही आरुणि मूसलाधार बरसात में खेत की और चल दिया।

वहाँ जाकर उसने देखा कि पानी के वेग से खेत की मेड बीच में से कट कर पानी बहकर बाहर निकल रहा था। आरुणि ने फावड़े से मिटटी लेकर मेड पर डाली, परन्तु पानी के वेग के कारण मिटटी नहीं रुक पा रही थी। उसने काफी सोच विचार किया।

अंत में उसे एक उपाय सुझा। उसने फावड़े को एक तरफ रखा और स्वयं कटी हुई मेड पर लेटा रहा। यदि वह उठ जाता तो सारा पानी निकल जाता। सधंया के समय आरुणि को न देखकर गुरु ने शिष्यों से पूछा तो उन्होंने कहा कि सुबह आपने ही तो उसे खेत पर मेड लगाने भेजा था।

Guru Bhakt Aruni

यह सुनकर गुरूजी अन्य शिष्यों के साथ आरुणि को खोजने निकल पड़े। बहुत अधिक ढूंढ़ने पर न मिलने के कारण घबराकर गुरूजी ने आरुणि को आवाज लगाई। आरुणि ने गुरूजी की आवाज सुनकर उत्तर दिया कि में यहाँ खेत की मेड पर लेता हुआ हूँ।

गुरूजी वहाँ गये, उन्हीने आरुणि को मेड बनकर पड़े हुए देखा। उनका मन भर आया। उन्होंने उसे उठने को आज्ञा दी। गुरूजी की आज्ञा से वह उठकर खेत से बाहर आ गया। गुरूजी ने उसे ह्रदय से लगा लिया और बोले, में तुम्हारी गुरु-भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हूँ।

उन्होंने आरुणि को आशीर्वाद दिया कि तुम ज्ञान प्राप्त कर संसार में यशस्वी बनोगे। आगे चलकर यही आरुणि मुनि उद्दालक के नाम से प्रसिद्ध हुए।

शिक्षा :

हमे अपने गुरुजनो का सम्मान करना चाहिए।