An honest woodcutter – एक ईमानदार लकड़हारा

An honest woodcutter

An honest woodcutter- किसी गांव में मंगू नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह बेहद गरीब लेकिन स्वभाव से ईमानदार था। वह जंगल से रोज लकडिया काटकर लाता और उन्हें बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करता था। इसी तरह उसका समय गुजर रहा था।

हर बार की तरह वो एक दिन जंगल में लकड़िया लेने गया और नदी किनारे एक बड़े से पेड़ पर चढ़कर लकड़िया काटने लगा। वो पेड़ से लकड़ियाँ काट ही रहा था कि तभी कुल्हाड़ी उसके हाथ से छूटकर नदी के गहरे पानी में जा गिरी।

एकाएक इस घटना से मंगू स्तब्ध रहा गया और फिर दुःखी होकर रोने लगा क्यूंकि उसके पास सिर्फ वो लोहे की एक ही कुल्हाड़ी थी और अब वो भी नदी में गहरे पानी में गिर गयी।

अब उसके बिना वो कैसे लकड़ियाँ काटेगा। और ऐसे हालत में तो वो और परिवार भूखे मर जायेगा। ये सोच सोचकर मंगू जोर जोर से रोने लगा।

तभी नदी में से जल देवता प्रकट हुए और मंगू से उसके रोने का कारण पूछा। मंगू ने जल देवता को अपनी सारी बात बताई। तो जल देवता ने कहा कि मंगू तुम चिंता मत करो। मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी पानी में से ढूंढ़कर बाहर लाता हूँ।

ये कहकर जल देवता ने पानी में डुबकी लगायी और अपने साथ चमचमाती एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आये। जल देवता ने मंगू से कहा कि मंगू ये लो तुम्हारी कुल्हाड़ी।

An honest woodcutter

तो मंगू ने चाँदी की कुल्हाड़ी देखकर कहा कि नहीं भगवन ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैं।

ये सुनकर जल देवता फिर से पानी में गए और इस बार वो सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आये और बोले – “मंगू ये लो आखिर तुम्हारी कुल्हाड़ी मिल ही गयी।”

इस बार भी मंगू में यह कहकर मना कर दिया कि वो सोने की कुल्हाड़ी उसकी नहीं है।

तो एक बार फिर जल देवता ने पानी में डुबकी लगायी और अबकी बार वो अपने साथ एक लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आये थे।

ये देखकर मंगू ख़ुशी से बोल उठा – “हां भगवन!!! ये ही है मेरी कुल्हाड़ी।

मंगू की इस ईमानदारी को देखकर जल देवता बेहद प्रसन्न हुए और कहा – “मंगू मैं तुम्हारी ईमानदारी से बेहद प्रसन्न हूँ। इसलिए अब ये तीनों कुल्हाड़ीया उपहार स्वरूप मैं तुम्हे ही देता हूँ। लो इन्हें स्वीकार करो। और
सदा सुखी रहो।”

और ऐसा कहकर जल देवता गायब हो गये।

अब मंगू अपने घर वापस आ गया और अपने परिवार के साथ खुशी खुशी जीवन व्यतीत करने लगा।

इस कहानी से शिक्षा:

हर व्यक्ति को उसकी ईमानदारी का उचित फल अवश्य मिलता है।