Nirjala Ekadashi Vrat 2022
Nirjala Ekadashi Vrat 2022- निर्जला एकादशी व्रत 10 जून शुक्रवार को रखा जाएगा। इस व्रत में उपवास के दौरान जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन विधि पूर्वक जल कलश के दान का विशेष महत्व है। इस एकादाशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। यह व्रत धारण करने से भीम को दस हजार हाथियों का बल प्राप्त हुआ था। मान्यता है कि इस व्रत से भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है और सभी एकादशी व्रतों का पूरा पुण्य लाभ मिलता है।
Nirjala Ekadashi Vrat 2022 निर्जला एकादशी व्रत में केवल इन शर्तों पर ही जल ग्रहण करें
निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस समय भीषण गर्मी और लू का प्रकोप होता है। इससे शरीर को अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है। निर्जला एकादशी व्रत में जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है। ऐसे में यह व्रत बाल, वृद्ध व रोगी को नहीं करना चाहिए।
अत्यधिक गर्मी और व्रत धारण करने से प्राण संकट में होने पर ॐ नमो नारायणायनमः मन्त्र का 12 बार जप करके थाली में जल रखकर घुटने और भुजा को जमीन पर लगाकर पशुवत जल पी लेना चाहिए। इससे व्रत भंग नहीं माना जाता है।
Nirjala Ekadashi Vrat 2022 निर्जला एकादशी व्रत पारण मुहूर्त
निर्जला एकादशी व्रत में पारण का विशेष महत्त्व है। शुभ मुहूर्त में पारण करने पर ही व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी व्रत 10 जून शुक्रवार को रखा जाना है। एकादशी तिथि 11 जून को प्रात: 5.46 बजे तक समाप्त हो रही है। उसके उपरांत द्वादशी तिथि शनिवार को रात्रि 11.43 बजे तक है. अतः द्वादशी तिथि शनिवार को पूरे दिन कभी भी पारणा किया जा सकता है।
निर्जला एकादशी 2022 कब है?
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी का संबंध महाभारत की कथा से भी है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 10 जून को सुबह 07 बजकर 25 मिनट पर प्रारंभ होगी, इस एकादशी का समापन 11 जून को शाम 05 बजकर 45 मिनट पर होगा। 10 और 11 जून दोनों दिन एकादशी तिथि पहुंचने के कारण व्रत को दोनों दिन रखा जा सकता है। हालांकि ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 11 जून को एकादशी व्रत उत्तम रहेगा।
निर्जला एकादशी क्यों मनाते हैं?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसे सभी व्रतों में बेहद कठिन माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। यही कारण है कि इस एकादशी का लोग सालभर इंतजार करते हैं।
और पढ़ें:-
निर्जला एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
- इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- निर्जला एकादशी के दिन जल ग्रहण करने की मनाही होती है।
- वाद-विवाद से बचना चाहिए।
- इस दिन काम, मोह, लालच जैसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत के दिन करें ये कार्य
निर्जला एकादशी व्रत के दिन प्यासे लोगों को पानी पिलाएं, ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। और श्री विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत चूंकि ज्येष्ठ मास में पड़ती है और इस मास में गर्मी अपने शीर्ष पर होती है। इसीलिए एकादशी के दिन छत पर या अन्य खुले स्थान पर पशु-पक्षियों के लिए पानी और दाने की व्यवस्था करें।
ज्येष्ठ मास की एकादशी व्रत बिना पानी और अन्न के रखा जाता है, इसीलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। इसलिए इस दिन मानसिक तौर पर स्वयं को मजबूत रखें, क्योंकि यह व्रत मानसिक मजबूती और दृढ़ प्रतिज्ञा से ही पूर्ण होना संभव है।
निर्जला एकादशी व्रत में आत्म संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करना भी आवश्यक है। निर्जला एकादशी व्रत पूजा के समय निर्जला एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ जरूर करें।
निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन दान का भी अपना महत्व है। इस दिन जल से भरा हुआ कलश दान करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
निर्जला एकादशी करने के नियम
निर्जला एकादशी के दिन दातुन से दांत साफ नहीं करना चाहिए क्योंकि, मान्यता है कि एकादशी वाले दिन किसी पेड़ की टहनियों को तोड़ने से भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं।
निर्जला एकादशी के दिन आलस्य करना वर्जित माना जाता है। इसलिए इस दिन ऐसा न करें।
एकादशी की रात बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं कहा जाता है कि इससे आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा।
पूजा के दौरान चावल का इस्तेमाल न करें। चावल की जगह तिल का उपयोग करें। शास्त्रों की मानें तो एकादशी में चावल का सेवन करने से मन में चंचलता आती है जिसकी वजह से मन भटक सकता है।
इस दिन भगवान विष्णु को भोग तुलसी दल के साथ लगाएं।
एकादशी वाले दिन किसी के साथ गलत शब्दों का प्रयोग न करें साथ ही अपने मन को शांत रखें।
इस दिन व्यक्ति को मांस, मदिरा जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। बल्कि इस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए।