Guru Purnima 2023 – गुरु पूर्णिमा पर बन रहे ये 4 राजयोग, जानिए इनका महत्व

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Guru Purnima 2023

Guru Purnima 2023:- आषाढ़ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेद व्यास को चारों वेदों का ज्ञान था। इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल गुरु पूर्णिमा पर 4 राज योग बन रहे हैं। जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 2023 में गुरु पूर्णिमा पर ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से चार राजयोग बन रहे हैं। इस दिन गुरु, मंगल, बुध और शनि की स्थिति शुभ रहेगी। ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण रुचक, हंस, शश और भद्र योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही इस दिन बुधादित्य योग का भी निर्माण हो रहा है। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा इस साल की खास मानी जा रही है।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन हम अपने गुरु की पूजा करते है जिन्होंने हमे जीवन में कुछ ना कुछ हासिल करने के काबिल बनाया है और हमें एक सही राह दिखाई है।

इस दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। यह पूर्णिमा ‘व्यास पूर्णिमा’ के नाम से भी जानी जाती है। उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए हमें अपने-अपने गुरुओं की पूजा करनी चाहिए। गुरु के ज्ञान और दिखाए गए मार्ग पर चलकर व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है।

पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। इसे हिन्दू एवं बौद्ध पूर्ण हर्ष व उल्लास के साथ मनाते हैं। यह पर्व गुरु के नमन एवं सम्मान का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन गुरु का पूजन करने से गुरु की दीक्षा का पूरा फल उनके शिष्यों को मिलता है।

शास्त्रों में कहा गया है कि यदि ईश्वर आपको श्राप दें तो इससे गुरु आपकी रक्षा कर सकते हैं परंतु गुरु के दिए श्राप से स्वयं ईश्वर भी आपको नहीं बचा सकते हैं। इस अवसर पर आश्रमों में पूजा-पाठ का विशेष आयोजन किया जाता है।

इस दिन स्कूल, कॉलेजों में गुरुओ, शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। उनके सम्मान में सभी लोग भाषण देते है, गायन, नाटक, चित्र, व अन्य प्रतियोगितायें आयोजित की जाती है। पुराने विद्यार्थी स्कूल, कॉलेज में आकर अपने गुरुजन को उपहार भेंट करते है और उनका आशीर्वाद लेते है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

भारत की पहचान है उसकी आध्यात्मिक धरोहर। स्वयं कष्ट सहकर भी जो समाज को उन्नति के मार्ग पर चलाते हैं, ऐसे ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का ही पर्व है गुरु पूर्णिमा। गुरु पूर्णिमा मनाने के पीछे यह कारण है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास को हम कृष्ण द्वैपायन के नाम से भी जानते है। महर्षि वेदव्यास ने चारों वेदों और महाभारत की रचना की थी।

गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और मुडिया पूनो के नाम से जाना जाता है। आषाढ़ की पूर्णिमा को यह पर्व मनाने का उद्देश्य है कि जब तेज बारिश के समय काले बादल छा जाते हैं और अंधेरा हो जाता है, तब गुरु उस चंद्र के समान है, जो काले बादलों के बीच से धरती को प्रकाशमान करते हैं। ‘गुरु’ शब्द का अर्थ ही होता है कि तम का अंत करना या अंधेरे को खत्म करना।

गुरु पूर्णिमा खास तौर पर वर्षा ऋतु में ही क्यों मनाया जाता है?

Guru Purnima 2023 गुरु पूर्णिमा खास तौर पर वर्षा ऋतु में ही मनाये जाने का कारण यह है कि इस समय न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी होती है और यह समय अध्ययन और अध्यापन के लिए अनुकूल व सर्वश्रेष्ठ है। इसलिए गुरुचरण में उपस्थित शिष्य ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति को प्राप्त करने हेतु इस समय का चयन करते हैं।

गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?

इस दिन देश में मन्दिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
कई विद्यालयों और संस्थानों में इस दिन छात्र या बच्चे अपने गुरु व शिक्षकों को सम्मानित करते हैं, उनके लिए उपहार लाते हैं, कई प्रकार के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
माता-पिता का जीवन में एक विशेष स्थान होता है।
इस दिन सुबह उनसे आशीर्वाद लिया जाता है क्योंकि ये ही तो हमारे प्रथम गुरु हैं।
लोग अपने इष्ट देव की आराधना करते हैं और अपने गुरु से आशीर्वाद लेते हैं।
गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोग वेदव्यास की भक्तिभाव से आराधना व अपने मंगलमय जीवन की कामना करते हैं।
इस दिन हलवा प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
इस दिन लोग गुरु को साक्षात भगवान मानकर पूजन करते हैं।
इस दिन को मंदिरों, आश्रमों और गुरु की समाधियों पर धूमधाम से मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करते है?

इस दिन जिनसे आपने शिक्षा ग्रहण की हो उनसे आशीर्वाद लें और उन्हें उपहार दें, प्रणाम करें।
इस दिन ऐसा भी कहा जाता है कि किसी गरीब को भरपेट भोजन आवश्य कराना चाहिए।
गरीब की सहायता करनी चाहिए, अगर किसी के शरीर पर वस्त्र नहीं हो तो उसे वस्त्र देने चाहिए।
गुरु का ध्यान करें, हो सके तो उनके दर्शन करें और यदि वे साक्षात् आपके पास न हों तो उनका ध्यान करें और मानसिक प्रणाम करें।
इस दिन धर्मग्रन्थ की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि धर्मग्रंथ भी साक्षात् गुरु है जैसे रामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता पर पुष्प चढ़ाए, पाठ करें इत्यादि।

गुरु पूर्णिमा का महत्व:-

Guru Purnima 2023 रामायण से लेकर महाभारत तक गुरू का स्थान सबसे महत्वपूर्ण और सर्वोच्च रहा है।
गुरु की कृपा से सुख, संपन्नता, ज्ञान, विवेक, सहिष्णुता प्राप्त होती है।
गुरु अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है, ये कह सकते हैं कि गुरु अज्ञान से ज्ञान की और ले जाता है और जो हमें ज्ञान देता वह पूजनीय माना जाता है।
गुरु को विशेष दर्जा दिया गया है, हिन्दू धर्म में गुरु को सबसे सर्वोच्च बताया गया है. इसलिए गुरु पूर्णिमा पर लोग अपने-अपने गुरु देव का पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

गुरु पूर्णिमा का शुभ मूहर्त:-

गुरु पूर्णिमा: 3 जुलाई 2023
पूर्णिमा तिथि शुरू: गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन के लिए सुबह 05:27 बजे से सुबह 07:12 बजे तक और सुबह 08:56 बजे से सुबह 10:41 बजे तक है। उसके बाद दोपहर में 02:10 बजे से 03:54 बजे तक शुभ समय है।