Holi ka Badkulla – होली का बढ़कुल्ला

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Holi ka Badkulla

Holi ka Badkulla- यह त्यौहार होली के पन्द्रह दिन पहले कोई शुभ दिन देखकर गाय के गोबर से सात बढ़कुल्ला(Holi ka badkulla) (मुलरी) बनावें। इसके बाद अपनी जितनी इच्छा हो उतने और बढ़कुल्ला( badkulla) तथा नारियल पान आदि सब तरह के खिलौने बना लेवें।

फिर फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन गोबर की 5 ढाल, एक तलवार, चंद्रमा, सूरज नारियल तथा आधी रोटी, एक होलिका माता और पान बणावे।

यदि आपके कोई बेटा होवे अथवा बेटे के विवाह का कोई उजमन होता हो तो तेरह गोबर की की सुपारी भी बना लेवे। ढाल, तलवार आदि बनाने के बाद बढ़कुल्ला नहीं बनावे।

Holi ka Badkulla

यदि किसी के कोई रस्म होती हो तो वह ढाल तथा होलिका माई की रोली, मेहंदी तथा आटे से सजा लेवे और होलिका माता की आँख बनाने के लिए उसमे कौड़ी लगा देवे।

होली के दिन जब भद्रा न होवे तब नारियल की रस्सी में एक सबसे बड़ी बढ़कुल्ला की माला पिरोवें। इस माला में सब तरह के ऊपर दिए हुये खिलोने तथा अन्य सभी चीजे एक-एक शीतला माता तथा घर में जितने पुरुष और लडके होवै उन सबके नाम की तथा अन्य देवताओ के नाम की चढ़ा देवे।

इन सब मालाओ को 8-8 बढ़कुल्ला, 1 -1 नारियल, 2-2 पान के साथ यदि उजमन की सुपारी भी बनाई गई हो तो उन तेरह सुपारी की भी एक माला बना लेवें। यदि मन होवे तो होली के 5 दिन पहले से ही होली के गीत अवश्य गाना चाहिये।

इसके उजमन करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।