Mahi Chauth Vrat katha
Mahi Chauth Vrat katha- माह की बड़ी चौथ को व्रत किया करते हैं। इस दिन कहानी सुनते हैं। एक पाटे पर जल का लोटा ,तिल कुट्टा ,रोली ,चावल रखकर फिर लोटे पर साथिया और तेरह बिंदी लगावें हाथ में तिलकुट्टा लेकर माही चौथ की कहानी सुनें फिर तिलक लगाकर एक कटोरी में तिल कुट्टा और रूपये रखकर सास के पाँव लगकर दे देवे। पाटे पर रखा हुआ तिलकुट्टा और रूपये ब्राह्मणी को देवें। रात को चाँद निकलने पर उसी जल के लोटे से और हाथ में रखे तिलकुट्टे से अरख देवें। रोली ,चावल और गुड़ चढ़ाकर और बाद में खाना खा लेवें।
माही चौथ का उजमन
अगर किसी को लड़का हुआ हो या लड़के की शादी हुई हो उस साल माही चौथ का उजमन करें। इस दिन सवा सैर का तिलकुट्टा करें। इसकी तेरह कुड़ी बनाकर एक तिल का लड्डू और रुपया रखकर कहानी सुनकर सास के पाँव लगकर उन्हें देवें।
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माही चौथ की कहानी
एक सेठ और सेठानी थे। वह धर्म पुण्य और व्रत कुछ भी नही करते थे। इसके कारण उनके कोई सन्तान नही थीं। एक दिन पड़ोसन माही चौथ की कहानी सुन रही थी। तो सेठानी पूछी की आप किसकी कहानी सुन रहे हो। पड़ोसन बोली की आज चौथ का व्रत हैं इसलिए कहानी सुन रही हूँ। सेठानी पूछी की इसके करने से क्या होता हैं। पड़ोसन बोली की इससे अन्न ,धन और संतान होती हैं।
जब सेठानी बोली की में गर्भवती हो जाऊ तो सवा सेर का तिलकुट्टा बनाऊ और चौथ का व्रत करू। वो गर्भवती हो गयी फिर सेठानी बोली की मेरे लड़का हो जावे तो ढ़ाई सेर तिलकुट्टा करूंगी। फिर उसके लड़का भी हो गया फिर सेठानी बोली की हे चौथ माता मेरे बेटे की शादी हो जावे तो सवा मन को तिलकुट्टा करूंगी।
बेटे की शादी तय हो गयी। फिर वह बारात लेकर गये तो चौथ माता सोची की सेठानी गर्भवती हुई तब से तिलकुट्टा बोले जा रही हैं एक भी तिलकुटा नही की अब तो बेटे की शादी भी करने चली।
एक भी तिलकुट्टा नही की अगर अब इसको चुटकला नही दिखाएंगे तो कलयुग में कोई नही मानेंगे। उधर लड़के ने तीन फेरे तो ले लिये चौथे फेरे में चौथ माता गुस्से में आई और दुल्हे को उठा कर पीपल के पेड़ पर बैठा दिया। फेरों में हाहाकार मच गयी सब दुल्हे को ढूंढने लगे पर वो कही नही मिला। बहुत दिनों बाद गणगौर आई। लड़कियाँ गणगौर पूजने के लिये दोब लेने जाती तब पीपल में से दुल्हा रोजाना एक लड़की को बोलता आ मेरी आधी शादी की हुई।
यह सुनकर लड़की बहुत दुःखी रहने लग गयी। तब लड़की की माँ बोली अच्छा खिलाती -पिलाती हूँ फिर भी तु दुःखी क्यों रहती हैं। तब लड़की बोली माँ जब में दुब लेने जाती हूँ तब एक लड़का दुल्हे के कपड़े पहनें ,महंदी लगाएं ,साफा पहने रोज मुझे बोलता हैं आ मेरी आधी शादी की हुई। लड़की की माँ वहाँ जाकर देखती हैं। तो पीपल में उसका दामाद था।
जब वह बोली की मेरी बेटी से आधी शादी करके यहाँ क्यों बैठे हो। तब दुल्हा बोला की में तो चौथ माता के गिरवी पड़ा हूँ मेरी माँ तिलकुट्टा बोली थीं। वो किया नही इस कारण चौथ माता नाराज होकर मुझे उठा लाई और यहाँ लाकर बैठा दिया।
लड़की की माँ दुल्हे की माँ के पास गयी और सारी बात बताई। सेठानी बोली की हैं चौथ माता मेरा बेटा आ जाये तो ढ़ाई मन का तिलकुट्टा करुँगी लड़की की माँ ने भी ढ़ाई मन का तिलकुट्टा बोल दिया। ये सुनकर चौथ माता खुश हो गयी और दुल्हे को फेरों में बैठा दिया।
बेटे की शादी हो गयी। बाद में वो लोग खुब धुम धाम से चौथ माता का तिलकुट्टा किया और सारे गांव में बोल दिया की सब कोई चौथ माता का व्रत करे तिलकुट्टा जरूर करें।