Shravana Putrada Ekadashi
Shravana Putrada Ekadashi-पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित व्रत में से एक है। संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की कामना करने वाली महिलाएं पुत्रदा एकादशी के व्रत को करती हैं। पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है।
साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi) या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी मुहूर्त 2022
सावन शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ: 07 अगस्त, दिन रविवार, रात 11:50 बजे से
सावन शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 08 अगस्त, दिन सोमवार, रात 09:00 बजे पर
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण समय: 09 अगस्त, दिन मंगलवार, सुबह 05:47 बजे से सुबह 08:27 बजे तक
द्वादशी तिथि का समापन: 09 अगस्त, शाम 05:45 बजे
पुत्रदा एकादशी का महत्व
सभी एकादशियों में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु की आराधना की जाती है।
कहते हैं कि जो भी भक्त पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi) का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं उन्हें संतान रूपी रत्न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी पर सावन सोमवार का संयोग
इस बार श्रावण पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi) के दिन सावन सोमवार व्रत का संयोग बना है। श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत और सावन सोमवार व्रत दोनों ही पुत्र या संतान प्राप्ति की कामना से रखा जाता है। इस दिन आप व्रत रख करके दोनों व्रतों के पुण्य को अर्जित कर सकते हैं। सावन सोमवार व्रत मनचाहे जीवनसाथी पाने की मनोकामना को भी पूर्ण करता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत के उपाय
श्रावण पुत्रदा एकादशी के अवसर पर आपको भगवान विष्णु का गाय के दूध से अभिषेक करना चाहिए। इसके लिए आप दक्षिणवर्ती शंख का उपयोग करें क्योंकि यह शंख विष्णु जी को प्रिय है। ऐसा करने से श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होंगे और आपके मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगे।
आपने संतान प्राप्ति की कामना से यह व्रत किया है, तो आपको पूजा के समय भगवान विष्णु को पीले रंग के फूलों की माला पहनानी चाहिए और चंदन के तिलक से श्रीहरि के मस्तक को सुशोभित करें। उनकी कृपा से आपकी इच्छा अवश्य पूर्ण होगी।
आप अपनी संतान की खुशहाली के लिए श्रावण पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi) व्रत रखना चाहते हैं तो इस दिन व्रत के साथ पूजा के समय ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से आपका कल्याण होगा।
भगवान श्रीकृष्ण विष्णु अवतार हैं। श्रावण पुत्रदा एकादशी को आप पूजा के समय संतान गोपाल मंत्र
ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
का जाप करें। इस मंत्र के जाप से पुत्र प्राप्ति का योग बनता है।
इस साल श्रावण पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi) के दिन सावन सोमवार व्रत भी है। इस दिन आप भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की विधिपूर्वक पूजा करें। सावन सोमवार व्रत भी संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन आप दोनों देवों से अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
पुत्रदा एकादशी की व्रत विधि
एकादशी के दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
फिर स्नान कर साफ कपड़े धारण करें।
घर के मंदिर में श्री हरि विष्णु की मूर्ति या फोटो के सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें।
कलश की स्थापना करें।
अब कलश में लाल वस्त्र बांधकर उसकी पूजा करें।
भगवान विष्णु को नैवेद्य और फलों का भोग लगाएं।
इसके बाद विष्णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत् पूजा-अर्चना करें।
पूरे दिन निराहार रहें।
शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें।
दूसरे दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं।
यथा सामर्थ्य दान देकर व्रत का पारण करें।
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
Shravana Putrada Ekadashi – प्राचीन काल में भद्रावतीपुरी नाम का एक नगर था। यहां पर सुकेतुमान नाम का एक राजा राज करता था। इसके विवाह के बाद काफी समय तक उसकी कोई संताई नहीं हुई। इस बात से राजा व रानी काफी दुखी रहा करते थे। राजा हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहता था कि जब उसकी मृत्यु हो जाएगी तो उसका अंतिम संस्कार कौन करेगा? उसके पितृों का तर्पण कौन करेगा?
वह पूरे दिन इसी सोच में डूबा रहता था। एक दिन परेशान राजा घोड़े पर सवार होकर वन की तरफ चल दिया। कुच समय बाद वहा जंगल के बीच में पहुंच गया। जंगह काफी घना था।
इस बीच उन्हें प्यास भी लगने लगी। राजा पानी की तलाश में तालाब के पास पहुंच गए। यहां उनको आश्रम दिखाई दिया जहां कुछ ऋृषि रहते थे। वहां जाकर राजा ने जल ग्रहण किया और ऋषियों से मिलने आश्रम में चले गए। यहां उन्होंने ऋषि-मुनियों को प्रणाम किया जो वेदपाठ कर रहे थे।
राजा ने ऋषियों से वेदपाठ करने का कारण जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि आज पुत्रदा एकादशी है। अगर कोई व्यक्ति इस दिन व्रत करता है और पूजा करता है तो उसे संतान की प्राप्ति होती है। यह सुनकर राजा बेहद खुश हुआ और उसने पुत्रदा एकादशी व्रत रखने का प्रण किया। राजा ने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया।
साथ ही विष्णु के बाल गोपाल स्वरूप की अराधना भी की। सुकेतुमान ने द्वादशी को पारण किया। इस व्रत का प्रभाव ऐसा हुआ कि उसकी पत्नी ने एक सुंदर संतान को जन्म दिया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi) की व्रत करता है तो उसे पुत्र की प्राप्ति होती है। साथ ही कथा सुनने के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।