Ramnavami 2023
Ramnavami 2023- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को राम नवमी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म राजा दशरथ के घर पर हुआ था। इस दिन प्रभु श्रीराम की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।
Ramnavami 2023 राम नवमी का महत्व
राम नवमी के दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्री राम ने पृथ्वी पर अवतरण लिया था। भगवान श्री राम ने अपना चौदह वर्ष का वनवास किया और इस दौरान उन्होंने रावण का वध भी किया। रावण का वध करने के कारण ही वो दुनिया में और ज्यादा पूजनीय हुए, क्योंकि उन्होंने बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश दिया।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति प्रभु श्री राम की पूजा और व्रत करता है उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। किसी भी समस्या से जूझ रहे भक्तों को प्रभु श्री राम की पूजा का फल अवश्य मिलता है और उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
Ramnavami 2023 राम नवमी पूजा विधि
राम नवमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करें और सभी भगवानों को स्नान कराएं और उन्हें भी नए या साफ़ वस्त्र पहनाएं।
भगवान् राम की प्रतिमा या तस्वीर को साफ़ करें और टीका लगाएं। राम दरवार की तस्वीर को साफ़ करें और उसमें भी टीका लगाएं।
इसके बाद रोली से भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्तियों का तिलक करें।
भगवान श्री राम को चावल, फूल, घंटी और शंख चढ़ाकर भगवान श्री राम की विधिवत पूजा करें।
श्री राम के मंत्रों का जाप करें और समस्त परिवार के साथ मिलकर रामायण का पाठ करें।
प्रभु श्री राम की आरती करें और रामायण जी की आरती करें।
इस दिन भगवान श्री राम को भोग अर्पित करें और सभी में वितरित करें।
गरीबों को दान दें और प्रसाद वितरण करें।
राम नवमी 2023 तिथि एवं पूजा मुहूर्त
नवमी तिथि आरंभ: 29 मार्च 2023, रात्रि 09:07 मिनट से
नवमी तिथि समाप्त: 30 मार्च 2023, रात्रि 11:30 मिनट पर
सुबह- 11:11 से 01: 40 तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:57 से 12:46 तक
ब्रह्ममुहूर्त: 04:49 से 05:37 तक
अमृतकाल: शाम 08:18 से 10:05 तक
रामनवमी 2023 शुभ संयोग
इस बार रामनवमी पर ग्रह-नक्षत्रों का बहुत ही शुभ और दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार रामनवमी के पर्व पर एक साथ 5 दुर्लभ संयोग बन रहा है।
राम नवमी पर अमृत सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, शुभ योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे हैं। इसके अलावा रामनवमी गुरुवार के दिन पड़ने से इसका महत्व काफी बढ़ गया है।
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राम जन्म कथा
अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए बड़ा यज्ञ किया था। उन्होंने उस यज्ञ के प्रसाद स्वरुप खीर को अपनी तीनों रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा को खिलाया था। जिसके प्रभाव से तीनों रानियां गर्भवती हो गईं। फिर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न के उदय होने पर भगवान श्रीराम का जन्म माता कौशल्या के गर्भ से हुआ। श्रीराम के जन्म के समय पांच ग्रह सूर्य, शनि, मंगल, शुक्र और बृहस्पति उच्च स्थान में थे।
श्रीराम के जन्म के बाद माता कैकेयी के गर्भ से भरत और माता सुमित्रा के गर्भ से शेषनाग के अवतार लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न का जन्म हुआ। महर्षि वशिष्ठ ने इन चारों बालकों का नाम क्रमश: राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखा था। पुत्रों की प्राप्ति से राजा दशरथ अत्यंत प्रसन्न थे, पूरी अयोध्या में उत्सव मनाया जा रहा था।
पौराणिक मान्यताएँ
श्री रामनवमी की कहानी लंकाधिराज रावण से शुरू होती है। रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी, यहाँ तक की देवतागण भी, क्योंकि रावण ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान ले लिया था। उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे।
फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।
आप सभी को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!