Sheetala Ashtami 2023 – जानें शीतला अष्टमी के बारे में

Sheetala-Ashtami-2022

Sheetala Ashtami 2023

Sheetala Ashtami 2023- हिंदू धर्म में हर महीने कई व्रत-त्योहार आते हैं। सभी व्रत एवं त्योहारों का अलग-अलग महत्व होता है। हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। शीतला अष्टमी को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

यह त्योहार होली के आठवें दिन पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता को मीठे चावल का भोग लगाना शुभ माना जाता है। ये मीठे चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाएजाते हैं। मान्यता है कि शीतला माता की विधि-विधान के साथ पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।

शीतला अष्टमी या बसौड़ा 2023 कब है?

हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन शीतला अष्टमी का पूजन किया जाता है। इस साल यह तिथि 14 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 15 मार्च 2023 को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर इसका समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार शीतला अष्टमी का पूजन 15 मार्च 2023 को किया जाएगा।

शीतला अष्टमी की पूजा के लिए 15 मार्च को सुबह 6 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 29 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। इस मुहूर्त में शीतला माता का पूजन किया जाता है।

भोग में चढ़ाएं बासी भोजन

शीतला अष्टमी के दिन माता शीलता की पूजा के दौरान बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। यह भोजन सप्तमी तिथि की शाम को बनता है। मां को मीठे चावल का भोग लगाना शुभ माना जाता है जो चावल और गुड़ के बनते हैं या फिर चावल और गन्ने के रस से बनते हैं। इसके अलावा मां शीलता को मीठी रोटी का भी भोग लगाया जाता है।

शीतला अष्टमी पूजा विधि

सप्तमी यानी 14 मार्च को चूल्हा आदि साफ करके स्नान कर लें और माता शीतला का भोग तैयार कर लें। इसी प्रसाद को 15 मार्च को माता को चढ़ाया जाएगा। अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।

स्नान के बाद माता शीतला के सामने हाथों में फूल, अक्षत और दक्षिणा लेकर इस मंत्र -श्मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्येश् से व्रत का संकल्प लें और सभी चीजें मां को अर्पित कर दें। इसके बाद मां शीतला को फूल अर्पित करें। इसके बाद सिंदूर लगाएं और वस्त्र अर्पित कर दें। इसके बाद भोग में बासा भोजन चढ़ाएं। इसके साथ ही आप चाहे तो दूध, रबड़ी, चावल आदि का भी भोग लगा सकते हैं।

इसके बाद फूल की माध्यम से जल अर्पित करें। फिर दीपक-धूप जलाकर शीतला स्त्रोत का पाठ करें। अंत में आरती करते मां का आशीर्वाद लें और रात में जगराता व दीपमालाएं प्रज्जवलित करने का भी विधान है। बासी भोजन की घर के हर सदस्य को प्रसाद के रूप में खाएं।

बासी खाने का महत्व

शीतला अष्टमी के दिन बासी खाना खाया जाता है और शीतला माता को अर्पित किया जाता है। इसलिए इसे बसौड़ा भी कहते हैं, जिस जगह होली की पूजा होती है, उसी जगह बसौड़े की पूजा की जाती है।

जो लोग अष्टमी की पूजा करते हैं वो लोग सप्तमी की रात को खाना बनाकर अष्टमी को बासी खाने को प्रसाद के रूप में शीतला माता को अर्पित करते हैं।

जैसा की नाम के अनुसार ही शीतला माता को शीतल चीजें पसंद हैं। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति को चेचक, खसरा जैसे रोगों का प्रकोप नहीं रहता। मान्यता है कि शीतला माता को ठंडी चीजें बहुत प्रिय होती है। शीतला सप्तमी और अष्टमी को ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है।