Diwali 2022 – दीपावली के दिन विधि विधान से करें लक्ष्मी जी की पूजा

Diwali-2021

Diwali 2022

Diwali 2022- हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला बड़ा त्योहार है। कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन दीपावली यानी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।इस दिन माँ धन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। दीपावली की रात्रि में सोना नहीं चाहिए। पूरी रात्रि माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना करनी चाहिए।

लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है। वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।

। ॐ श्री हीं कमले कमलालये। प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त-

दीवाली का त्योहार: 24 अक्टूबर 2022 को
कार्तिक अमावस्या शुरू : 24 तारीख को शाम 5 बजकर 28 मिनट से.
कार्तिक अमावस्या समाप्त : 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट तक
प्रदोष व्रत पूजा: 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 50 मिनट से रात 8 बजकर 22 मिनट तक

पूजन सामग्री

रोली,मौली, चावल, पान ,कुमकुम,केसर, धुप, इलाची, लोंग, सुपारी, कपूर, कलश, माला, रोइ, कलावा, नारियाल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ ,गेहू, चन्दन, सिन्दूर, घृत, पंचामर्त, चांदी का सिक्का, दीपक, घी, चोकी , खील ,बताशे, मिठाई, थाली, आसन, लक्ष्मी जी, गणेश जी की मूर्ति या चित्र आदि।

पूजा विधि

इस मंत्र से पूजा सामग्री और अपने आसन को पवित्र करे।

ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

सबसे पहले हमे दीपक को पानी में भिगोना होता है फिर उन को सूखा कर उनकी स्थापना करनी चाहिए।

अब आपको पूजा के लिए मूर्तियों या चित्र को पवित्र करना होगा इस के लिए पहले हमे इन जल पात्र से थोड़ा सा जल ले के छिड़कना होगा और पवित्र करना होगा।

इसी प्रकार बाकि पूजा की सामग्री और आसन को भी इसी प्रकार से पवित्र कर ले।

अब जहा पर आप ने आसन लगाया है वहा पर भी जलपात्र से जल ले कर जल का छिड़काव करे और फिर पृथ्वी माँ को भी प्रणाम करे।

अब हाथ जोड़ कर ध्यान करे।

ध्यान के बाद सवस्तिक बनाये और उस पर फूल अर्पित करे और कुछ धन भी रखे।

अब आप गणेश जी की और माता की पूजा करे।

इसके बाद आप को कलश पूजा करनी है फिर आप नवग्रह की पूजा करे और हाथ में पुष्प भी ले और नवग्रह स्त्रोत का जाप करे।

अब घर की महिलाये सुहाग का सारा सामान माँ लक्ष्मी को अर्पित करती है।

इसके बाद उनको फल खील बताशे नारियल आदि चढ़ा कर भगवान् की आरती की जाती है।

दिवाली का पर्व पांच दिवसीय पर्व होता है, जोकि बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश, कुबेर, धनवंतरि, यमराज, गोवर्धन आदि कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। तथा सभी घरों में अनेक प्रकार के पकवान और मिष्ठान बनाए जाते हैं। घरों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। तथा मिट्टी के दीये जलाकर घरों को रोशन किया जाता है।

लक्ष्मी पूजा की मान्यताएं

देखे- माँ लक्ष्मी जी की आरती Maa Laxmi Ji ki Aarti

दीपावली को भगवान विष्णु की पत्नी तथा उत्सव, धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ मानते हैं। दीपावली का पांच दिवसीय महोत्सव देवताओं और राक्षसों द्वारा दूध के लौकिक सागर के मंथन से पैदा हुई लक्ष्मी के जन्म दिवस से शुरू होता है। दीपावली की रात वह दिन है जब लक्ष्मी ने अपने पति के रूप में विष्णु को चुना और फिर उनसे शादी की।

लक्ष्मी के साथ-साथ भक्त बाधाओं को दूर करने के प्रतीक गणेश; संगीत, साहित्य की प्रतीक सरस्वती; और धन प्रबंधक कुबेर को प्रसाद अर्पित करते हैं कुछ दीपावली को विष्णु की वैकुण्ठ में वापसी के दिन के रूप में मनाते है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और जो लोग उस दिन उनकी पूजा करते है वे आगे के वर्ष के दौरान मानसिक, शारीरिक दुखों से दूर सुखी रहते हैं।