Krishna Janmashtami 2022 – श्रीकृष्ण की पूजा में जरूर होनी चाहिए ये चीजें, इनके बिना अधूरी रहती है पूजा

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Krishna Janmashtami 2022

Krishna Janmashtami 2022-भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर राहिणी नक्षत्र में हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अधर्म के ऊपर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। देवकीनंदन के जन्मोत्सव पर पूरे भारत में उत्सव और उल्लास का माहौल रहता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना बहुत लाभदायक माना जाता है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम भी जाना जाता है। ग्रेगोरियन पंचांग के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अक्सर अगस्त और सितंबर के महीने में पड़ती है, यह तिथि हर वर्ष बदलती रहती है।

हिंदू पंचांग के मुताबिक, कई बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो दिन पड़ती है। यह दो तिथियां स्मार्त संप्रदाय और वैष्णव संप्रदाय हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सभी दुख और तकलीफें दूर हो जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।

यहाँ जानें – श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पौराणिक कथा

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। इस दिन दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। वहीं 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 08 बजकर 59 मिनट तक धुव्र योग रहेगा। जबकि 17 अगस्त को दोपहर 08 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा।

Krishna Janmashtami 2022-जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि

इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है।

इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। रात्रि को स्त्री संग से वंचित रहें और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें।

उपवास वाले दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठें।

हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर संकल्प करके मध्यान्ह के समय काले तिलों के जल से स्नान (छिड़ककर) कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएँ। अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश स्थापित करें।

साथ ही भगवान श्रीकृष्ण जी को स्तनपान कराती माता देवकी जी की मूर्ति या सुन्दर चित्र की स्थापना करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमशः लेते हुए विधिवत पूजन करें।

यह व्रत रात्रि बारह बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है।

जन्माष्टमी तिथि का व्रत नियम

जन्माष्टमी पर देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमशः लेते हुए इनका विधिवत पूजन करें। इस दिन फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे की पूरी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है। जन्माष्टमी के व्रत को एकादशी के व्रत की तरह ही रखा जाता है। इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है।

जन्माष्टमी का व्रत एक निश्चित अवधि में ही तोड़ा जा सकता है। जिसे पारण मुहूर्त कहते हैं। जन्माष्टमी का पारण सूर्योदय के बाद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद ही तोड़ा जाता है।

पूजा में इन चीजों को जरूर रखें

श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय वस्तुओं में से बांसुरी एक है। इसलिए पूजा में बांसुरी जरूर रखें बांसुरी सरलता और मिठास का प्रतीक है।

पूजा के दौरन भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति जरूर रखें। हिंदू धर्म में गाय को बहुत ही पूजनीय माना गया है। माना जाता है कि गाय में 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी के बिना भोग नहीं लगाया जाता है। इसलिए भोग में तुलसी जरूर डालें।

मोर पंख के बिना श्रीकृष्ण का श्रृंगार अधूरा रहता है इसलिए कृष्ण मूर्ति के साथ मोर पंख जरूर रखें। मोर पंख सम्मोहन और भव्यता का प्रतीक है। ये दुखों को दूर कर जीवन में खुशहाली का सूचक है।

कृष्ण को माखन मिश्री बहुत ही प्रिय है। जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाने से मनोकामनओं की पूर्ति होती है।

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण बाल स्वरूप में प्रकट होते हैं और उन्हें पालने या झूले में झुलाया जाता है। इसलिए पूजा में झूला जरूर रखें, इससे परिवार में खुशहाली आएगी।

श्रीकृष्ण विशेष रूप से वैजयंती की माला धारण किए रहते हैं। इसलिए पूजा के समय श्रीकृष्ण को वैजयंती की माला पहनाना न भूलें। घर में वैयजंती माला रखना बहुत शुभ माना जाता है।

श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए घंटी भी रखें, इसकी ध्वनि से नकारात्मकता दूर होती है।

जन्माष्टमी के दिन घर में राधा-कृष्ण की तस्वीर या फोटो जरूर रखें। ऐसा करने से प्रेम संबंध बेहतर होते हैं।

जन्माष्टमी के दिन पूजा स्थान पर कौड़ियां रखें। इससे धन की प्राप्ति होगी।

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को पीले और चमकीले वस्त्र पहनाएं। इसके साथ ही उनका ऐसा ही सुंदर सा आसन भी हो।

Krishna Janmashtami 2022-जन्माष्टमी का महत्व

इस दिन देश के समस्त मंदिरों का श्रृंगार किया जाता है।
श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियाँ सजाई जाती हैं।
भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजा के उन्हें झूला झुलाया जाता है।

स्त्री-पुरुष रात के बारह बजे तक व्रत रखते हैं। रात को बारह बजे शंख तथा घंटों की आवाज से श्रीकृष्ण के जन्म की खबर चारों दिशाओं में गूँज उठती है। भगवान कृष्ण जी की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है।

इस लेख के साथ हम आशा करते हैं कि जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आपको भगवन कृष्ण की असीम कृपा प्रदान हो।