Kark Sankranti 2022 – कर्क संक्रांति से दक्षिणायन की होगी शुरूआत, जानें महत्व

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Kark Sankranti 2022

Kark Sankranti 2022– जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है उस समय अवधि को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर राशि में 1 महीने तक गोचर करने के बाद अब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेगा। इस वर्ष कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2021 को पड़ने वाली है। कहा जाता है कि 12 संक्रांतियों में कर्क संक्रांति का विशेष महत्व है क्योंकि इस संक्रांति से उत्तरायण समाप्त होता है और दक्षिणायन प्रारंभ होता है जिसकी अवधि 6 माह की होती है।

कहा जाता है कि कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि तक दक्षिणायन रहता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि दक्षिणायन देवताओं की रात्रि होती है। दक्षिणायन काल में रातें लंबी हो जाती हैं और विवाह, उपनयन और मुंडन जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

कर्क संक्रांति का मुहूर्त

कर्क संक्रांति तिथि: – 16 जुलाई 2022, शुक्रवार

कर्क संक्रांति पुण्य काल: – सुबह 05:34 से शाम 05:09 तक

संक्रांति महापुण्य काल: – दोपहर 02:51 से शाम 05:09 तक

कर्क राशि में प्रवेश करने का समय: – शाम 04:41

दक्षिणायन होगा शुरू

Kark Sankranti 2021-कर्क संक्रांति से ही दक्षिणायन की शुरूआत होती है जिसकी अवधि छह माह तक होती है। सूर्य देव एक राशि में एक माह तक विराजमान रहते हैं। ऐसे कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि यानि छह माह तक दक्षिणायन की अवधि रहती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में दो अयन होते हैं। अयन का अर्थ परिवर्तन से है। अर्थात साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन में रहता है। 

दक्षिणायन का महत्व

मान्यताओं के अनुसार दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि मानी गई है। दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दक्षिणायन होने पर सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। दक्षिणायन के दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं। तामसिक प्रयोगों के लिए दक्षिणायन का समय उपयुक्त होता है।

उत्तरायण का महत्व

Kark Sankranti 2021-उत्तरायण मास को देवी- देवताओं का दिन माना गया है। उत्तरायण के 6 महीनों के दौरान नए कार्य जैसे- गृह प्रवेश , यज्ञ, व्रत, अनुष्ठान, विवाह, मुंडन आदि जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है। उत्तरायण के समय दिन लंबा और रात छोटी होती है। इसमें तीर्थयात्रा, धामों के दर्शन और उत्सवों का समय होता है। उत्तराणण के दौरान तीन ऋतुएं होती है- शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म।

कर्क संक्रांति का महत्व

सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश के बाद से दक्षिणायन शुरू हो जाएगा। अगले छह महीनों के लिए रातें लंबी होती जाती हैं और दिन छोटा होने लगता है। इस अवधि में स्नान, दान और ध्यान का विशेष महत्व बताया गया है। कर्क संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना करनी चाहिए। साल 2021 में कर्क संकांति आषाढ़ महीने में होगा। इस वजह से मेष से लेकर मीन तक सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।

कर्क संक्राति के नियम

Kark Sankranti 2021-कर्क संक्रांति को किसी भी शुभ और नए कार्य के प्रारंभ के लिए शुभ नहीं माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित करें। संक्रांति में की गई सूर्य उपासना से दोषों का शमन होता है। सूर्य संक्रांति पर आदित्य स्तोत्र एवं सूर्य मंत्र का पाठ करें। इस समय में शहद का प्रयोग लाभकारी माना जाता है। कर्क संक्रांति पर वस्त्र एवं खाने की चीजों और विशेषकर तेल के दान का विशेष महत्व है।