Goswami Tulsidas Jayaneti – गोस्वामी तुलसी दास जयंती

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Goswami Tulsidas Jayaneti

Goswami Tulsidas Jayaneti-तुलसीदास जयंती, इस साल 15 अगस्त 2021 को मनाई जाएगी। तुलसीदास जयंती हर साल सावन मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाई जाती है। 1554 में जन्म लेने वाले तुलसीदास 16वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के छोटे से गांव राजापुर में आत्माराम दूबे और हुलसी के घर हुआ था।

तुलसीदास का बचपन भी बेहद अभावों में बीता था। तुलसीदास ‘श्रीरामचरित मानस’ को रचकर अमर हो गए। रामचरित मानस में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन का काव्य रूप में वर्णन है। उन्होंने रामचरित मानस के साथ-साथ हनुमान चालीसा, कवितावली, गीतावली, विनयपत्रिका, जानकी मंगल और बरवै रामायण जैसे कुल 12 ग्रंथों की रचना की है। उन्होंने अपनी रचनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए उन्हीं की भाषा का प्रयोग किया है। 

बाल्यावस्था में सहना पड़ा था कष्ट

Goswami Tulsidas Jayaneti- तुलसी दास जी की माता की मृत्यु हो जाने पर उन्हें अमंगल मान कर उनके पिता ने त्याग दिया था। इसलिए इनकी बाल्यावस्था बहुत कष्टों में गुजरी। इनका पालन दासी ने किया। लेकिन जब दासी ने भी उनका साथ छोड़ दिया तब खाने के लिए उन्हें बहुत कष्ट उठाने पड़े। लोग भी उन्हें अशुभ मान कर अपने द्वार बंद कर लेते थे। इतनी विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष ने ही उनके अस्तित्व को बचा कर रखा। तुलसी अपनी रचनाओं को ही माता-पिता कहने वाले विश्व के प्रथम कवि हैं।

तुलसीदास जयंती डेट और समय

श्रीराम को पूजने वाले लोग, तुलसीदास की रचियता का भी उतना ही आदर सम्मान करते हैं क्यों इसे हिंदी साहित्य का सबसे बड़ा ग्रंथ अर्थात महाग्रंथ भी कहा जाता है। श्रावण माह में अमावस्या की सप्तमी की बात करें तो वो इस साल 15 अगस्त को मनाई जाएगी।

धार्मिक लोगों के लिए यह दिन बड़ा है, इस दिन रामचरितमानस का पाठ किया जाता है, राम मंदिर जाकर लोग पूजा पाठ करते हैं, तुलसीदास का स्मरण करते हुए श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। जो लोग तुलसीदास जयंती के मौके पर उनकी पूजा करना चाहते हैं, उनको सप्तमी तिथि जाननी जरुरी है। 14 अगस्त के रात 11:50 पर सप्तमी शुरू हो जाएगी जबकि 15 अगस्त की रात 9:50 तिथि समाप्त होगी।

मुख्य रचनाएँ : तुलसीदास जी की रचनाओं में से कुछ प्रमुख रचनाएँ निम्न अनुसार है :

· रामचरितमानस

· कवितावाली

· गीतवाली

· विनय-पत्रिका

· हनुमान चालीसा

· संकट मोचन

· छंदवाली रामायण

· सतसई आदि

तुलसीदास जी का संक्षिप्त जीवन परिचय:

  जन्म              :      1511 ई॰ सोरों शूकरक्षेत्र, कासगंज उत्तर प्रदेश

  म्रत्यु               :      1623 ई॰ काशी, वाराणसी उत्तर प्रदेश में

  भाषा शैली          :      अवधि और ब्रजभाषा

  बचपन का नाम      :      रामबोला

  गुरु का नाम         :      नरहरीदास    

  प्रमुख रचनाए        :      रामचरितमानस, दोहवाली , गीतवाली ,                                     हनुमान चालीसा , विनयपत्रिका आदि

  धर्म               :      हिन्दू

  दर्शन              :      वैष्णव

क्योंकि 15 अगस्त 2021 को गोस्वामी तुलसीदास जयंती और भारत का स्वतन्त्रता दिवस दोनों साथ में ही हैं तो आप सभी पाठकों को तुलसीदास जयंती और स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

तुलसीदास जी समाज के पथप्रदर्शक

तुलसीदास जी ने उस समय में समाज में फैली अनेक कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। अपनी रचनाओं द्वारा उन्होंने विधर्मी बातों, पंथवाद और सामाज में उत्पन्न बुराईयों की आलोचना की उन्होंने साकार उपासना, गो-ब्राह्मण रक्षा, सगुणवाद एवं प्राचीन संस्कृति के सम्मान को उपर उठाने का प्रयास किया। वह रामराज्य की परिकल्पना करते थे। इधर उनके इस कार्यों के द्वारा समाज के कुछ लोग उनसे ईर्ष्या करने लगे तथा उनकी रचनाओं को नष्ट करने के प्रयास भी किए किंतु कोई भी उनकी कृत्तियों को हानि नहीं पहुंचा सका।

आज भी भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का मंचन होता है। उनकी इनकी जयंती के उपलक्ष्य में देश के कोने कोने में रामचरित मानस तथा उनके निर्मित ग्रंथों का पाठ किया जाता है। तुलसीदास जी ने अपना अंतिम समय काशी में व्यतित किया और वहीं विख्यात घाट असीघाट पर संवत‌ 1680 में श्रावण कृष्ण तृतीया के दिन अपने प्रभु श्री राम जी के नाम का स्मरण करते हुए अपने शरीर का त्याग किया।