Brihaspati Dev Ki Aarti – बृहस्पति देव की आरती

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Brihaspati Dev Ki Aarti

Brihaspati Dev Ki Aarti- जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा |
छिन छिन भोग लगाऊं कदली फल मेवा | |ॐ| |

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी |
जगत पिता जगदीश्वर तुम सबके स्वामी || ॐ ||

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता |
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता || ॐ ||

तन ,मन ,धन अर्पण कर जो जन शरण पड़े |
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े || ॐ ||

दीन दयाल दयानिधि।, भक्तन हितकारी |
पाप दोष सब हर्ता, भव बन्धन हारी || ॐ ||

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी |
विषय विकार मिटाओ सन्तन सुखकारी || ॐ ||

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे |
जेष्ठानन्द आनंदनद सो निश्यच पावे || ॐ ||

जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा |
छिन छिन भोग लगाऊं कदली फल मेवा | |ॐ| |