Gangaur Geet
Gangaur Geet- त्यौहारों के देश भारत देश में विभिन्न संस्कृतियों का मेल है। भिन्न-भिन्न राज्य और उनकी संस्कृति. हर प्रदेश की संस्कृति झलकती है उसकी, वेश-भूषा से वहा के रित-रिवाजों से और वहां के पर्व और त्यौहारों से। हर प्रदेश की अपनी, एक खासियत होती है जिनमे, त्यौहार की अहम भूमिका होती है।
गणगौर पूजते समय का गीत
यह गीत शुरू मे एक बार बोला जाता है और गणगौर पूजना प्रारम्भ किया जाता है –
प्रारंभ का गीत –
गोर रे, गणगौर माता खोल ये, किवाड़ी
बाहर उबी थारी पूजन वाली,
पूजो ये, पुजारन माता कायर मांगू
अन्न मांगू धन मांगू, लाज मांगू लक्ष्मी मांगू
राई सी भोजाई मंगू।
कान कुवर सो, बीरो मांगू इतनो परिवार मांगू..
उसके बाद सोलह बार गणगौर के गीत से गणगौर पूजी जाती है।
सोलह बार पूजन का गीत –
गौर-गौर गणपति ईसर पूजे, पार्वती
पार्वती का आला टीला, गोर का सोना का टीला।
टीला दे, टमका दे, राजा रानी बरत करे।
करता करता, आस आयो मास
आयो, खेरे खांडे लाडू लायो,
लाडू ले बीरा ने दियो, बीरों ले गटकायों।
साडी मे सिंगोड़ा, बाड़ी मे बिजोरा,
सान मान सोला, ईसर गोरजा।
दोनों को जोड़ा, रानी पूजे राज मे,
दोनों का सुहाग मे।
रानी को राज घटतो जाय, म्हारों सुहाग बढ़तों जाय
किडी किडी किडो दे,
किडी थारी जात दे,
जात पड़ी गुजरात दे,
गुजरात थारो पानी आयो,
दे दे खंबा पानी आयो,
आखा फूल कमल की डाली,
मालीजी दुब दो, दुब की डाल दो
डाल की किरण, दो किरण मन्जे
एक,दो,तीन,चार,पांच,छ:,सात,आठ,नौ,दस,ग्यारह,बारह,
तेरह, चौदह,पंद्रह,सोलह।
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सोलह बार पूरी गणगौर पूजने के बाद पाटे के गीत गाते है।
पाटा धोने का गीत –
पाटो धोय पाटो धोय, बीरा की बहन पाटो धो,
पाटो ऊपर पीलो पान, म्हे जास्या बीरा की जान।
जान जास्या, पान जास्या, बीरा ने परवान जास्या
अली गली मे, साप जाये, भाभी तेरो बाप जाये।
अली गली गाय जाये, भाभी तेरी माय जाये।
दूध मे डोरों, म्हारों भाई गोरो
खाट पे खाजा, म्हारों भाई राजा
थाली मे जीरा म्हारों भाई हीरा
थाली मे है, पताशा बीरा करे तमाशा
ओखली मे धानी छोरिया की सासु कानी..
ओडो खोडो का गीत –
ओडो छे खोडो छे घुघराए, रानियारे माथे मोर.
ईसरदास जी, गोरा छे घुघराए रानियारे माथे मोर..
(इसी तरह अपने घर वालो के नाम लेना है)
गणगौर अरग के गीत-
पूजन के बाद, सुरजनारायण भगवान को जल चड़ा कर गीत गाया जाता है।
अरग का गीत –
अलखल-अलखल नदिया बहे छे
यो पानी कहा जायेगो
आधा ईसर न्हायेगो
सात की सुई पचास का धागा
सीदे रे दरजी का बेटा
ईसरजी का बागा
सिमता सिमता दस दिन लग्या
ईसरजी थे घरा पधारों गोरा जायो,
बेटो अरदा तानु परदा
हरिया गोबर की गोली देसु
मोतिया चौक पुरासू
एक,दो,तीन,चार,पांच,छ:,सात,आठ,नौ,दस,ग्यारह,बारह,
तेरह, चौदह,पंद्रह,सोलह।
गणगौर को पानी पिलाने का गीत-
सप्तमी से, गणगौर आने के बाद रोजाना तीज तक (अमावस्या के दिन को छोड़कर) शाम मे, गणगौर घुमाने ले जाते है। पानी पिलाते और गीत गाते हुए, मुहावरे व दोहे सुनाते है।
पानी पिलाने का गीत –
म्हारी गोर तिसाई ओ राज घाटारी मुकुट करो
बिरमादासजी राइसरदास ओ राज घाटारी मुकुट करो
म्हारी गोर तिसाई ओर राज
बिरमादासजी रा कानीरामजी ओ राज घाटारी
मुकुट करो म्हारी गोर तिसाई ओ राज
म्हारी गोर ने ठंडो सो पानी तो प्यावो ओ राज घाटारी मुकुट करो..
(इसमें परिवार के पुरुषो के नाम क्रमशः लेते जायेंगे।)