Shri Karni Ma Ki Aarti
Shri Karni Ma Ki Aarti- आरती करणी अम्बा की जयती जननी जगदम्बा की
शीश पर स्वर्ण मुकुट सोहे कान में कुंडल मन मोहे
नयन पर धनुषी है भोहे उपाई सृष्टि, दया की दृष्टि
स्वर्ण की वृष्टि कृपा की आरती, अति रम्भा की
जयती जय जननी …..
आपने भक्त बहुत तारे असुर बहु हेर हेर मारे
कृपा हो जय माँ के द्वारे तो गिरता बढ़े नयन बिन पढ़े
पंगु गिर चढ़े बात सब बने अचम्भा की
जयती जननी …..
शाह ने कहा, विपत्त भारी आव अब करणी महतारी
सुनो अरजी मात महारी विनती करी डूबती तरी
जहाज जल भरी महर हुई अब भुज अम्बा की
जयती जननी …..
भक्ति माँ की अति सुखदाई उबारो वंश महामाई
सदा सुन आज्यो मेहाई कहे धर धीर गुलाब शरीर
चरण में सीर दया हो माँ अवलम्बा की
जयती जननी …..
आरती करणी अम्बा की जयती जननी जगदम्बा की
शीश पर स्वर्ण मुकुट सोहे कान में कुंडल मन मोहे
नयन पर धनुषी है भोहे उपाई सृष्टि, दया की दृष्टि
स्वर्ण की वृष्टि कृपा की आरती, अति रम्भा की
जयती जय जननी …..
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