Sheetla Mata Ki Aarti
Sheetla Mata Ki Aarti- स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने लोकहित में की थी। शीतलाष्टक शीतला देवी की महिमा गान करता है, साथ ही उनकी उपासना के लिए भक्तों को प्रेरित भी करता है। शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह मंत्र बताया गया है:
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“ वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।„
Sheetla Mata Ki Aarti
जय शीतला माता , मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी , सब फल की दाता ।।
जय शीतला माता ….
रतन सिंहासन शोभित , श्वेत छत्र भाता ।
रिद्धि सिद्धि चंवर डोलावें ,जगमग छवि छाता ।।
जय शीतला माता ….
विष्णु सेवत ठाढ़े , सेवें शिव धाता ।
वेद पुराण बरणत , पार नहीं पाता ।।
जय शीतला माता ….
इंद्र मृदंग बजावत , चन्द्र वीणा हाथा ।
सूरज ताल बजाते , नारद मुनि गाता ।।
जय शीतला माता ….
घन्टा शंख शहनाई , बाजै मन भाता ।
करें भक्त जन आरती ,लखी लखी हरषाता ।।
जय शीतला माता ….
ब्रह्म रूप वरदायनी , तुहि तीन काल ज्ञाता ।
भक्तन को सुख देनौ , मातु पिता भ्राता ।।
जय शीतला माता ….
जो भी ध्यान लगावै , प्रेम भक्ति लाता ।
सकल मनोरथ पावे , भवनिधि तर जाता ।।
जय शीतला माता ….
रोगन से जो पीड़ित कोई , शरण तेरी आता ।
कोढ़ी पावे निर्मल काया , अंध नेत्र पाता ।।
जय शीतला माता ….
बांझ पुत्र को पावे , दरिद्र कट जाता ।
ताको भजै जो नाही , सिर धुनि पछिताता।।
जय शीतला माता ….
शीतल करती जननी , तुही है जग त्राता ।
उत्पत्ति व्यधि विनाशत , तू सब की धाता ।।
जय शीतला माता ….
दास विचित्र कर जोड़े , सुन मेरी माता ।
भक्ति अपनी दीजै , और न कुछ भाता ।।
जय शीतला माता ….