वेग रोकने से होने वाले रोग – Preventing Diseases

Preventing-Diseases
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भूख रोकने से होने वाले रोगः

अंगभंगारूचिग्लानिकार्श्यशूलभ्रमाः क्षुधः।

भूख रोकने से, भूख लगने पर भी न खाने से शरीर टूटता है, अरुचि, ग्लानि और दुर्बलता आती है। इसके अलावा पेट में शूल-दर्द होता है और सिर में चक्कर आते हैं।
पेट में जब दर्द हो तब यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि यह दर्द अजीर्ण के कारण तो नहीं है? यह दर्द अजीर्ण के कारण हो और उसे भूख के कारण होने वाला दर्द मानकर अधिक भोजन करने पर परिस्थिति बिगड़ जाती है।

प्यास रोकने से होने वाले रोगः

शोषांगसादबाधिर्यसम्मोहभ्रमह्रदगदाः।
तृष्णाया निग्रहात्तत्र…..

प्यास रोकने से मुखशोष (मुँह का सूखना), शरीर में शिथिलता, अंगों में कार्य करने की अशक्ति महसूस होना बहरापन, मोह, भ्रम, चक्कर आना, आँखों में अन्धापन आना आदि रोग हो सकते हैं। शरीर में धातुओं की कमी होने से हृदय में भी विकृति हो सकती है।

खाँसी रोकने से होने वाले रोगः

कासस्य रोधात्तद् वृद्धिः श्वासारूचिहृदामयाः।
शोषो हिध्मा च…..

खाँसी को रोकने से खाँसी की वृद्धि होती है। दमा, अरूचि, हृदय के रोग, क्षय, हिचकी जैसे श्वासनलिका के एवं फेफड़ों के रोग हो सकते हैं।

थकान के कारण फूली हुई साँस को रोकने से होने वाले रोगः

गुल्महद्रोगसम्मोहाः श्रमश्वासाद्धिधारितात्।

चलने से, दौड़ने से, व्यायाम करने से फूली हुई साँस को रोकने से गोला, आँतों एवं हृदय के रोग, बेचैनी आदि होते हैं।

छींक रोकने से होने वाले रोगः

शिरोर्तिन्द्रियदौर्बल्यमन्यास्तम्भार्दितं क्षुतेः।

छींक को रोकने से सिरदर्द होता है, इन्द्रियाँ दुर्बल बनती हैं व गरदन अकड़ जाती है। आर्दित नामक वायुरोग माने मुँह का पक्षाघात, लकवा (Facial Paralysis) होने की संभावना रहती है।