Aarti Shri Jagdambe Ji Ki
Aarti Shri Jagdambe Ji Ki– सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी,
कोई तेरा पार ना पाया ।।टेक।।
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले,
तेरी भेंट चढ़ाया ।।सुन-।।
सारी चोली तेरे अंग बिराजे,
केसर तिलक लगाया ।।सुन-।।
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे,
शंकर ध्यान लगाया ।।सुन-।।
नंगे नंगे पग से तेरे,
सम्मुख अकबर आया,
सोने का छत्र चढ़ाया ।।सुन-।।
ऊंचे ऊंचे पर्वत बन्यौ शिवालो,
नीचे महल बनाया ।।सुन-।।
सतपूग द्वापर त्रेता मध्ये ,
कलयुग राज सवाया ।।सुन-।।
धुप, दीप नैवेद्य आरती,
मोहन भोग लगाया ।।सुन-।।
ध्यानू भगत मैया तेरा गुण गावे ,
मनवांछित फल ।।पाया।।
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